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सम-सामयिकता लघुकथा की प्रथम आवश्यकता-डॉ. दवे

इंदौर (मप्र)।

लघुकथा सूक्ष्म से विस्तार लेती है, एक गंभीर सोच को मारक बना प्रस्तुत करती है। डॉ. नीहार गीते ने इस पुस्तक में चुन-चुनकर विषय लिए हैं, जो समसामयिक हैं और जीवन की गहरी समझ लिए हैं। लघुकथा की प्रथम आवश्यकता सम-सामयिकता है।
यह बात ‘आईसेक्ट’ (भोपाल) द्वारा प्रकाशित डॉ. नीहार गीते के लघुकथा संग्रह ‘सरकार कब आएंगे’ का विमोचन करते हुए अध्यक्षता कर रहे साहित्य अकादमी भोपाल के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कही। मुख्य अतिथि रमन विवि के कुलगुरु डॉ. अरुण जोशी ने कहा, कि नीहार जी की लघुकथाओं में सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत संघर्षों का सूक्ष्म विश्लेषण मिलता है। चर्चा करते हुए विशेष अतिथि डॉ. संगीता पाठक ने कहा कि नीहार जी ने जीवन की विभिन्न स्थितियों को गहराई से समझा है। उनकी रचनाओं में नैतिक एवं शैक्षणिक मूल्यों का समावेश है। पुस्तक की रचना प्रक्रिया पर लेखिका डॉ. गीते ने कहा कि लघुकथा लिखने में संवेदनशीलता ऐसी हो कि दूसरे की पीड़ा से आँसू निकल आएं। ये आँसू ही लघुकथा है।

संचालन वरिष्ठ प्रबंधक महीप निगम ने किया। क्षेत्रीय प्रबंधक अभिजीत चौबे ने आभार व्यक्त किया।