बबिता कुमावत
सीकर (राजस्थान)
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मित्रता-ज़िंदगी………
मित्रता ज़िंदगी का खूबसूरत हिस्सा है,
मित्रता खामोशियों की भाषा है।
मित्रता सच्ची अभिलाषा है,
मित्रता करती दूर निराशा है।
मित्रता ज़िंदगी की परिभाषा है,
बेमिसाल रिश्ते की आशा है।
तप्त हृदय को सरसता देती है,
मन को भी यह बहला देती है।
अँधेरा भी रोशनी बन जाता है,
मेरी परछाई भी बन जाता है।
हर गम को भुला देती है,
रूठे हुए को मना लेती है।
प्यार, विश्वास इसमें होता है,
जीने का अंदाज सिखाती है।
गलती नजरअंदाज कर देती है,
दिल की हर बात समझाती है।
मित्रता में सब कुर्बान होता है,
निश्छल प्रेम इसमें होता है।
हर स्वार्थ से परे ये होती है,
अपनेपन का जज्बात इसमें होता है।
मित्रता में ज़िंदगी बदल जाती है,
हम पे जां निसार हो जाती है।
मित्रता में अहसान नहीं होते हैं,
‘बबिता’ के दोस्त महान होते हैं॥