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प्रखर स्‍त्री चेतना के वाहक कवि थे मैथिलीशरण गुप्‍त-पं. अग्निहोत्री

राष्ट्रकवि जयंती समारोह-कवि गोष्‍ठी…

वर्धा (महाराष्ट्र)।

‘भारत भारती’, जिसने उस पराधीनता के समय जन-जागरण का महती कार्य किया था, के रचयिता और पद्मभूषण से अलंकृत राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने अपने काव्य में राष्ट्रीयता और गाँधीवादी विचारधारा के अतिरिक्त परित्यक्ता नारी पात्रों की मार्मिक विरह गाथा को प्रमुख स्थान दिया है। महाकाव्य में ‘अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आँचल में है दूध और आँख में पानी’ का कटाक्ष करती हुई यशोधरा और विष्णुप्रिया का हृदय-स्पर्शी वर्णन मिलता है। गुप्त जी प्रखर स्त्री चेतना के वाहक कवि थे।
यह विचार मुख्य अतिथि शंकर प्रसाद अग्निहोत्री ने व्यक्त किए। मौका रहा राष्ट्रकवि स्मृति समिति (वर्धा) द्वारा सेवाग्राम स्थित महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के सरोजिनी नायडू सभागार में राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की १३९वीं जयंती समारोह के निमित्त कवि गोष्ठी का। महाकाली शिक्षण संस्था के संस्थापक अध्यक्ष शिक्षा-महर्षि श्री अग्निहोत्री के अतिरिक्त अध्यक्षता डॉ. हेमचन्द्र वैद्य (राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा) ने की। कस्तूरबा आरोग्य मण्डल के अध्यक्ष पी.एल. तापड़िया, सचिव डॉ. बी.एस. गर्ग व विशिष्ट अतिथि प्रख्यात हिन्दी-मराठी साहित्यकार कांचन प्रकाश (मुम्बई), राष्ट्रकवि स्मृति समिति के संयोजक डॉ. ओ.पी. गुप्त एवं विद्यार्थी साहित्य परिषद म.गाँ. आयुर्विज्ञान संस्थान की प्रभारी अधिकारी डॉ. मनीषा भलावी उपस्थित रहे।
महात्मा गांधी, माँ कस्तूरबा, डॉ. सुशीला नायर और मैथिलीशरण गुप्त को माल्यार्पण एवं दीप प्रज़्वलन के पश्चात अभ्यागतों का स्वागत किया गया। डॉ. ओम प्रकाश गुप्त ने प्रस्तावना प्रस्तुत की। प्रतिवर्ष की तरह पूर्व में आयोजित ‘हिंदी काव्य प्रतियोगिता’ में विजयी चिकित्सा छात्रों ने काव्य पाठ किया। इन्हें पुरस्कार दिया गया। अतिथियों ने डॉ. ओमप्रकाश गुप्त द्वारा रचित कविता-संग्रह ‘उत्ताल तरंगें’ का लोकार्पण भी किया।

गोष्ठी में सुश्री कांचन, निरुपमा चतुर्वेदी, डॉ. आशा झा, डॉ. सुरेखा गोडबोले और डॉ. अनवर सिद्दीकी आदि ने स्त्री-संवेदना के आयाम समेटे हुए श्रेष्ठ काव्य रचनाएं प्रस्तुत की, जिन्हें श्रोताओं ने खूब सराहा।कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुपमा गुप्ता ने किया।