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किया था शंखनाद…

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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मरते रहे
वह देश के लिए,
बिस्मिल रोशन
लहरी अशफाक,
अंग्रेजों की गुलामी
का जिसने किया था,
शंखनाद।

रुधिर रसधार
दिल में दी,
जो वतन के लिए मरे
देश की मिट्टी से भी,
खुशबू ए वतन में थी
अंग्रेजों की गुलामी,
का जिसने किया शंखनाद।

काकोरी कांड
नया उत्साह था,
स्वतंत्रता के मतवालों का
अंग्रेजों की हुकूमत
का बिगुल बजाया था,
वही था शंखनाद।

स्वाभिमान युवाओं ने
भी देखा था,
सरफरोशी की तमन्ना के दीवानों का वह जोश
उन्होंने दिखा दिया था,
बाजू-ए-कातिल का फरमान
अंग्रेजों की गुलामी,
का जिसने किया था शंखनाद।

फिरंगियों को यह काकोरी कांड
बिल्कुल नहीं पसंद आया,
वह क्रांतिकारी के दुश्मन बन गए
लेकिन स्वतंत्रता के वह
थे चार दीवाने,
जिन्हें फांसी की सज़ा सुनाई।
जिन्होंने अंग्रेजों की गुलामी,
का किया था शंखनाद॥