सोनीपत (हरियाणा)।
हिन्दीभाषा एवं सद साहित्य हेतु कृत संकल्पित कल्पकथा संस्था ने २१० वीं कल्पकथा साप्ताहिक काव्य गोष्ठी आयोजित की, जो देशप्रेम को समर्पित रही। मुख्य अतिथि प्रबुद्ध साहित्यकार सत्यम सिन्हा रहे।
संस्था की संवाद प्रभारी ज्योति राघव सिंह ने बताया कि कल्पकथा परिवार की साप्ताहिक आभासी काव्य गोष्ठी राष्ट्रप्रेम व देशभक्ति के भावों को समर्पित रही। जबलपुर से विद्वत साहित्यकार ज्योति प्यासी की अध्यक्षता एवं रस अल खैमाह (संयुक्त अरब अमीरात) से प्रबुद्ध साहित्यकार सत्यम सिन्हा के मुख्यातिथ्य में इसका शुभारंभ नागपुर के वरिष्ठ साहित्यकार विजय रघुनाथ राव डांगे द्वारा संगीतमय गुरु वंदना, गणेश वंदना, सरस्वती वंदना के साथ किया गया। २ चरण एवं ४ घंटे तक चले कार्यक्रम में राष्ट्र सेवा, सैन्य शौर्य, अमर बलिदानियों को नमन करते हुए माँ भारती का वंदन किया गया। साहित्यकार हेमचंद्र सकलानी (देहरादून) ने अमर बलिदानियों को नमन करते हुए ‘बस एक दीप जला देना’ काव्य रचना के रूप में पहली प्रस्तुति दी। साहित्यकार भगवान दास शर्मा प्रशांत ने ‘भारत की पुण्य भूमि’ रचना से मातृभूमि के गौरव से भाव-विभोर किया तो वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश विष्णु सिंह ‘जिज्ञासु’ ने राष्ट्र चेतना जागृत करते हुए कहा ‘सबमें हो सद्भाव बंधुता यही अटल व्यवहार।’
अध्यक्षता करते हुए ज्योति प्यासी ने ‘वन्दे मातरम, वन्दे मातरम, वन्दे मातरम, वन्दे मातरम, जिसके चरणों की सेवा में मन गया रम’ सुनाकर माहौल को ऊर्जान्वित कर दिया। विजय डांगे, विनीता कंवर राठौड़ के अतिरिक्त सत्यम सिन्हा, गोपाल कृष्ण बागी, आत्म प्रकाश कुमार, रजनी कटारे, संपत्ति चौरे स्वाति, डॉ. श्याम बिहारी मिश्र, सुनील कुमार खुराना, पं. अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’ वाराणसी उप्र, राधाश्री शर्मा व पवनेश मिश्र आदि ने भी काव्य पाठ द्वारा मंच को सुशोभित किया। दर्शक दीर्घा से साधना मिश्रा, डॉ. पंकज कुमार बर्मन और डॉ. अंजू सेमवाल आदि ने आयोजन की सराहना की।
ज्योति प्यासी ने ऊर्जामय आयोजन पर कहा कि राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्र चेतना से जुड़ते हुए गौरवान्वित महसूस करना चाहिए। सत्यम सिन्हा ने कहा कि राष्ट्र देव को, राष्ट्र प्रेमियों को, अमर बलिदानी सैन्यवीरों को नमन करना हम भारतवासियों का कर्तव्य है।
आशुकवि भास्कर सिंह ‘माणिक’ एवं पवनेश मिश्र के मंच संचालन में कल्पकथा की संस्थापक राधाश्री शर्मा ने आभार प्रकट किया।