हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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इलाज के अभाव में,
तड़पते व्यक्ति को
देख अस्पताल में
हमें बहुत गुस्सा आया,
जो आजकल कफन के सौदागार बन बैठे हैं
ऐसे लोगों को चुल्लूभर पानी में डूब जाना चाहिए…।
क्या मानवता मर चुकी है ?
दिखावे के लिए दान-पुण्य का नाटक,
पर भूखे-प्यासे परेशान व्यक्ति को कहाँ मिलता है भोजन !
तुम फोटोबाजी के लिए ये सब करते हो,
तो फिर तुम डूब मरो चुल्लूभर पानी में…।
हमारे क्षेत्र के नेता दौरे पर आए हमारे दर पे ही,
उनके अपने चमचों ने उन्हें घेरे रखा
इधर-उधर गली मोहल्ले में घुमा कर उनकी कार में छोड़ आए,
फिर काहे के वह हमारे जनप्रतिनिधि ?
ऐसे लोगों को तो चुल्लूभर पानी में डूब मरना चाहिए…।
हर तरफ नकली माल व मिलावट का खेल है,
कोई नहीं किसी की सुनता यहाँ
जो सुनता भी है तो सिर्फ पैसे वालों की सुनता है,
ऐसे में हम सब क्यों हैं मौन ?
तो फिर जाओ चुल्लूभर पानी में डूब जाओ…।
आज फिर इज्जत व लज्जा कलंकित हो रही है,
बहन-बेटियों के साथ जो हो रहा है
उसे देखकर ऐसा लगता है,
मानवीय मूल्य अब सही में धराशायी हो गए…
क्या यही मातृशक्ति का सम्मान है!
यह धोखे की पटकथा,
ऐसे दानवों को तो चुल्लूभर पानी में डुबा देना चाहिए..॥