धर्मेंद्र शर्मा उपाध्याय
सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)
********************************************
बारिश ने कहर है ढाया,
रिमझिम मौसम में है डराया,
देवभूमि हिमाचल में ये कैसा
मौसम आपदा बनकर आया।
पर्वत, पहाड़, सड़कें ढह गई,
न जाने किसकी नजर है लगी!
घर से बेघर हुए हैं लोग,
खाने को नहीं मिलती रोटी।
हाय! अपनों से बिछड़ गए,
नहीं बची कुछ जीवन कमाई
चीख, पुकार, दर्द से तड़पते,
क्यों प्रभु को दया न आई ?
कुछ वर्षों से देख रहे हैं,
बारिश आपदा बनी है आफत
भयंकर रूप धर नदी–नालों ने,
जन-जन की तोड़ी है ताकत।
यूँ लग रहा है जैसे इस,
आपदा को हमने स्वयं बनाया
‘देवभूमि’ भोगभूमि बनाकर,
दूषितकर परिणाम है पाया।
पर्यावरण को बचाना होगा,
अवैध निर्माण हटाना होगा।
जो देवभूमि बर्बाद करें,
ऐसे विकास को रोकना होगा॥