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सत्य को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार करना चाहिए

संगोष्ठी संग लोकार्पण…

गाजीपुर (उप्र)।

डॉ. माधव कृष्ण और डॉ. शिखा तिवारी हिंदी साहित्य के निकट भविष्य में एक साहित्यकार दंपति के रूप में अपनी पहचान दर्ज कराएंगे। इस पुस्तक की निबंध कट्टरता और विवेक का उल्लेख करते हुए लेखक की स्थापना से सहमति है कि कट्टरता का प्रतिरोध होना चाहिए और सत्य को संस्थाबद्ध नहीं, बल्कि सैद्धांतिक रूप से स्वीकार करना चाहिए।
यह बात मुख्य अतिथि और हिंदी साहित्य के चर्चित वरिष्ठ कवि- चिंतक देवेंद्र आर्य ने शहर के द प्रेसीडियम इंटरनेशनल स्कूल के सभागार में माधव कृष्ण द्वारा रचित निबंधों के संकलन ‘पिनाक’ का लोकार्पण करते हुए कही। कार्यक्रम का शुभारंभ माता सरस्वती और परमहंस बाबा गंगारामदास के चित्र के समक्ष माल्यार्पण और पुष्पार्चन से हुआ। सरस्वती वंदना कवयित्री डॉ. कादम्बिनी सिंह ने की। इस मौके पर अध्यक्ष डॉ. मांधाता राय, (वरिष्ठ साहित्यकार), सारस्वत अतिथि प्रो. अनिल राय (वरिष्ठ समालोचक) एवं मुख्य अतिथि
का स्वागत और सम्मान विविध क्षेत्रों के समाजसेवी और साहित्यकारों ने किया।
डॉ. राय ने कहा कि, इस पुस्तक ने वैदिक और औपनिषदिक परम्परा से पुष्ट निबंधों के माध्यम समाज की विविध समस्याओं से जूझने का कार्य किया है। प्रो. राय ने पुस्तक, इसके लेखक और वैचारिकी की सराहना करते हुए कहा, कि यह पुस्तक बहु पठित, बहु संदर्भित और गंभीर आलोचना के बाद सामने आई है और पाठक को गंभीर अध्ययन की ओर प्रेरित करती है।
आधार वक्तव्य रखते हुए पीजी कॉलेज गाजीपुर की हिंदी आचार्य शिखा तिवारी ने कहा कि माधव कृष्ण भारत की विराट सांस्कृतिक परम्परा से अनुप्राणित हैं, लेकिन जड़ता के विरोध में दृढ़ता से खड़े होते हैं और यही इस पुस्तक के निबंधों की सफलता है।

लेखक माधव कृष्ण ने लेखकीय आभार माना। ममता उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।