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कोई तो मिले…

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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सोचता हूँ कई बार,
सावन के मौसम में
एक सुहानी शाम को,
बरसात को चाय पर बुलाऊँ
कहूँ उसे साथ अपने,
थोड़ा-सा धूप का टुकड़ा भी
लेकर आए…।

वैसे तो उनके साथ मैं,
हल्के-हल्के बहती सावन की
बारिश में लिपटी ठंडी हवाओं के,
झोंकों को भी चाय पर बुलाऊँ
साथ उनके सारी रात गप-शप करूँ…।

वे आएँगे या नहीं! मन मेरा,
शंकित-सा हो जाता है
बरसों हो गए अकेला ही,
जी रहा हूँ बिल्कुल तन्हा
अब आदत-सी हो गई है,
कभी किसी को बुलाया नहीं या
कोई मुझसे मिलने आया ही नहीं,
फिर सोचने लग जाता हूँ…।

जीवन में कम से कम एक बार,
ऐसा कोई व्यक्ति मुझसे मिलने आए
मेरे साथ हर पल को खुशी से बिताए,
मेरे जीवन में कम से कम एक बार
ऐसा कोई व्यक्ति आए…।

जिसके साथ बिताया हर पल
खुशगवार हो,
जो गर्मी में शीतलता दे
कड़कती धूप में छाया दे,
बारिश में एक प्यारी-सी बूँद बने
और मैं भीग जाऊँ प्यार की बूँदों से…।

ज़िंदगी में कम से कम,
एक बार तो कोई ऐसा मिले।
उसके सुर और मेरे शब्द,
मेरे ही हों…॥