पद्मा अग्रवाल
बैंगलोर (कर्नाटक)
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प्रतिवर्ष आने वाला नवरात्र पर्व माँ दुर्गा की आराधना के साथ ही आत्मचिंतन और सामाजिक परिवर्तन की प्रेरणा का अवसर भी है। माँ दुर्गा के नौ रूप, जिन्हें हम नवदुर्गा या नवरात्र कहते हैं, हर दिन नई चेतना व सामाजिक संदेश लेकर आता है। आज के समाज में व्याप्त चुनौतियों से निपटने के लिए भी यह हमारा मार्गदर्शन कर सकते हैं।
नवरात्र देवी दुर्गा की आराधना और उपासना का पर्व है। यह न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, वरन् इसमें विज्ञान और पर्यावरणीय चेतना के तत्व भी समाहित हैं। नवरात्र में लोग देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की की पूजा करते हैं, जो शक्ति, साहस और ज्ञान का प्रतीक हैं। यह पर्व श्रद्धा और आध्यात्मिकता का समय है, जो लोगों को जीवन में सकारात्मक परिवर्तन के लिए प्रेरित करता है। नवरात्र में व्रत और उपवास का पालन करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ होता है। यह विज्ञान और स्वास्थ्य का संगम है, जो लोगों को अपने जीवन में स्वस्थ और सकारात्मक आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यह लोगों को अपने पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रेरित करता है।
भारतीय सास्कृतिक परंपरा में नवरात्र केवल उपासना का अवसर नहीं है, वरन् जीवन के हर आयाम का पुनर्मूल्यांकन और पुनर्नियोजन करने का पर्व है। अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक देवी दुर्गा के नवस्वरूपों की आराधना आत्म शुद्धि, मनोबल और सामूहिक एकता का प्रतीक है। माँ शैलपुत्री-हिमालय की पुत्री है, जो संकल्प एवं आत्मबल का प्रतीक है। ऐसे ही माँ ब्रम्हचारिणी-ज्ञान तप और साधना की देवी है, तो माँ चंद्रघंटा-शांति और वीरता का अद्भुत संतुलन, माँ कूष्मांडा -ज्ञान, तप और साधना की देवी, माँ स्कंदमाता-मातृत्व और संरक्षण की देवी,
माँ कात्यायिनी-दुष्टों का विनाश करने वाली शक्ति, माँ कालरात्रि-अंधकार एवं अज्ञानता का विनाश करने वाली, माँ महागौरी-साफ मन, स्वच्छ समाज का संदेश देने वाली ओर
माँ सिद्धिदात्री-सिद्धियाँ और ज्ञान देने वाली देवी है।
माँ दुर्गा के इन ९ रूपों के अतिरिक्त कई अन्य नाम भी हैं,-महिषासुर मर्दिनी, शक्ति, गौरी, नारायणी, कल्याणी आदि तो इसके सिवा उनके १०८ नाम भी बताए हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में नवरात्र भिन्न-भिन्न प्रकार से मनाया जाता है ।
नवरात्र पर्व में पूरे देश में उल्लास और खुशी छा जाती है। भारत उत्सव प्रधान देश है। यहाँ सभी प्रांत अपनी तरह से नवरात्र पर्व का उत्सव मनाते हैं।
🔹उत्तर भारत- रामलीला और रावण वध से खुशियाँ मनाता है। ९ दिन व्रत के बाद कन्या पूजन का प्रचलन है।
🔹बंगाल- दुर्गापूजा के पंडालों में उमड़ पड़ता है। कलकत्ता का दक्षिणेश्वर मंदिर मानों दुल्हन की तरह सजाया जाता है।
🔹गुजरात- गरबे की धूम, जिसमें बड़ोदरा के समता मैदान में ४० हजार लोग चनिया-चोली में एकसाथ थिरकते हैं।
🔹कुल्लू- कुल्लू में धलपुर वैली में इकट्ठा होकर नवरात्रि मनाने की अलग ही छटा दर्शनीय होती है।
🔹कर्नाटक- आयुध पूजा करके दशहरा मनाते हैं। अपनी गाड़ियों को फूलों से सजा कर सफेद कद्दू लटकाते हैं। मैसूर पैलेस में शाही वौडियार परिवार १० दिन तक संगीत, नृत्य, थियेटर से जुड़े कार्यक्रम का आयोजन करता है।
🔹तमिलनाडु- यहाँ लोग माँ दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं।
