बबिता कुमावत
सीकर (राजस्थान)
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ना समझने की
किसी ने कोशिश की,
ऐसा चपटा पत्थर हूँ मैं-
वो किरदार हूँ मैं…।
मुझ पर अनर्गल
बहस खूब छिड़ी,
फिर भी नाकाम सिद्ध हुई-
वो किरदार हूँ मैं…।
मेरी नजर में
सब अच्छा किया,
फिर भी गुनहगार साबित किया-
वो किरदार हूँ मैं…।
मैं तूफानों-सी
इच्छा शक्ति रखती हूँ
असंख्य विचारों को कैद रखती हूँ-
वो किरदार हूँ मैं…।
अपनी काबिलियत पर
मुझे भरोसा था,
शायद मेरी मेहनत पर उनको शक था-
वो किरदार हूँ मैं…।
दफ्तर-घर में सामंजस्य बिठाया मैंने
सफलता के बाद भी,
खुद को संभाला मैंने-
वो किरदार हूँ मैं…।
खुद की लड़ाई
खुद से करनी है,
यह सबकी पीड़ा मुझे कहनी है-
वो किरदार हूँ मैं…।
मैं एक बहता,
वह दरिया हूँ।
जो दीए-सा जल उठती हूँ-
वो किरदार हूँ मैं॥