सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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पधारो हे! जगजननी अंबिका,
नव-नव रूप धर अंबिका
सिंह की सवारी, नेह बरसाती,
तुम जगत माँ, शिवा साधिके भवानी
तुम बिन संसार,
तुम्हारी छत्र-छाया बिन मानव अधूरा है
आओ हे!शिव-शिवा संग माँ।
विराजो हे! जगजननी अंबिका,
नवरात्र, अभिनंदन हे! अंबिका
सब दुःख टारो, उठा जग बीड़ा,
पंडाल सजे, भक्तजन बुलाएं अंबिका
सबकी निगाहें तुम पर,
त्राहि-त्राहि मची, दीन-हीन पर
हर लो, सबकी पीड़ा अंबिका।
सुनो जगजननी! अंबिका,
कवि हृदय, आत्मविश्वास, विहीन भाव
कृपा दृष्टि से निहाल कर दो, अंबिका,
कलम से मेरी स्फुटित हो, अगणित भाव
लिखूं मैं तुम्हारे लिए, दिव्य हृदय भाव,
बिन दया के रिक्त मन
प्रेरणा स्रोत, दृढ़विश्वास भर अंबिका,
विनती, निर्मल भाव-भण्डार दे!अंबिका।
कृपा हे! जगजननी माँ,
सरस्वती रूप मन वास करो
ली प्रतिज्ञा, रचना करूं नित्य प्रति,
कंठ में विराज, स्तुति रह-रह गाऊं मैं
जगत कल्याण हो, ऐसे भाव उपहार दो माँ,
सन्मार्ग, सन्मति, सद्भाव भर दे माँ।
कृपा हे जगजननी माँ,
मन मैल, अहम् लेश मात्र, ऐसा बीजारोपण न हो
मन, वचन, कर्म से पराहित, कभी न हो माँ।
भटके पग कभी, तुम्हीं संभाल निबार माँ,
झुके सर, तेरी ही चौखट नित माँ॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।