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दुर्गा स्तुति

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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माँ अम्बे जगदम्बे कृपा कीजिए
गुण तुम्हारे मैं गाऊं, मेधा दीजिए।

दुर्जय दैत्यों से तीन लोक रक्षित किए,
विष्णु जी ने स्तुति की किया स्मरण
वक्ष अपने चरण शिव जी धारण किए,
कालकूट विष को पी के किया स्मरण।
तीनों लोकों की रक्षक हो तुम अंबिके,
जन्मे हर घर में अंबा, ये वर दीजिए॥

आप शिव मन की हैं मोहनी कामना,
दिव्यता शिव की शक्ति का आधार है
आप शिव में हैं शिव आपकी साधना,
शिव से शक्ति मिले सृष्टि साकार है।
पुरुष शिव से बनें, नारी शक्ति सदृश,
कामना मेरी चरणों में रख लीजिए॥

तीनों लोकों में तुम-सा न दानी कोई,
मुझ-सा पातक नहीं जग में दुर्गेश्वरी
पाप हरणी जगत मैं तुम्हारी शरण,
आश्रय दे दो अभय मात करुणेश्वरी।
भव की तारक भवानी, दयानी सदा,
भूल‌ जो भी हुई हो भुला दीजिए॥

वंदना कर चरण शीश अर्पित करूं,
मुझको दो भक्ति-शक्ति हे परमेश्वरी
स्नेह-वंदन तुम्हारा ‘शिवदासी’ करे,
दास शिव-शक्ति की मैं हे माहेश्वरी।
भक्ति की गंगा बन मेरे चारों तरफ,
आप निसदिन निरंतर बहा कीजिए॥

माँ अम्बे जगदम्बे कृपा कीजिए,
गुण तुम्हारे मैं गाऊं, मेधा दीजिए॥