संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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दशहरा विशेष…
आज के पावन दिवस पर
हृदय से यह प्रार्थना निकलती है,
दशहरे के त्यौहार में
हर किसी का जीवन जगमगाए,
भले-बुरे युद्ध का जयघोष
आज भी आसमान में गूंजता है,
सद्गुणों का दीप तब भी जलता था,
आज भी तेज फैलाता है।
अहंकार का अंत हो,
सत्य, सद्धर्म, सदाचार की
फिर से जय हो, विजय हो
सोने के पत्तों का आदान-प्रदान
समृद्धि का संदेश देता है,
प्रेम, मित्रता, स्नेह के बंधन की
सुगंध आँगन भर फैलाता है।
किसान सजाते हैं हल-बैल,
पसीने को सम्मान देते हैं
गाँव-गाँव में पेड़-पौधे,
बच्चों के खिलखिलाते हास्य में
स्त्रियों के मंगल गीतों में,
मेलों के रेलों में रातें रोशनी फैलाती हैं।
एकता की शक्ति में,
सामूहिक आनंद में
हमारी मातृभूमि की परंपरा,
त्योहारों का सुंदर उत्सव,
स्नेह-बंधनों की संगत में
जीवन और अधिक समृद्ध हो,
यही मनोकामना जन-जन में फैलाते हैं।
सब जन, सब लोक, बहुजन
यह शुभकामना संदेश ख़ास है,
हर हृदय में उजाला रहे
कभी भी दु:ख का वास न रहे,
दशहरे का यह पावन उत्सव
सबको आनंद देने वाला हो,
सद्गुणों की हमेशा विजय हो
यही हमारी आराधना है,
चहुंओर यह प्रार्थना फैलाना है।
दु:ख का अंधकार दूर हो,
सुख का प्रकाश सदा रहे
सद्गुणों का मार्ग अपनाकर,
जीवन को सफल बनाएँ
यह पावन पर्व सबके जीवन में,
ढेरों खुशियाँ और समृद्धि लाए।
दशहरे-विजया दशमी के पर्व पर,
यही शुभकामनाएँ दस दिशा फैलाना है॥