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अपने दिल को

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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टूट चुका हूँ मैं
तेरे जाने के बाद,
समझता हूँ बहुत
हर वक़्त अपने दिल को…।

पर यादें हैं वह जाती नहीं,
हर समय-हर पल तेरी याद आती है
तुझको खो देने के बाद,
समझता हूँ बहुत
हर वक़्त अपने दिल को…।

दिल में दर्द हैं बहुत,
वह नहीं समझता है
रोता है अकेले में… टूट-सा जाता है मन,
तेरी यादों के साए में नींद से जाग जाता हूँ
समझता हूँ बहुत
हर वक़्त अपने दिल को…।

आज घरौंदा बिखरा हुआ,
इधर-उधर सामान पड़ा है
क्या करूँ मैं आँसू बहा लेता हूँ,
तेरे जाने के बाद
दुःख को कैसे बताऊं किसे मैं अपना दर्द सुनाऊं।
इसलिए समझता हूँ बहुत,
हर वक़्त अपने दिल को…॥