उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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सफेद धुंध की चादर से ढका पड़ा है आज हिमालय,
ओस की ठंडी पुरवाई ने झड़ी श्वेत है आज बिछवाई…।
दिसंबर-जनवरी-फरवरी में ठिठुरन भरी ठंड आई,
कंपकपाती बर्फीली हवाओं ने मौसम को शरद बनाया…।
मद्धम सूरज की किरणे मौसम में गरमाहट लाई,
गरमागरम पकौड़े की खुशबू तो मन को बहुत है भायी…।
गरम चाय के प्याले हाथों में मौसम में मजा कराए,
लाजवाब दहकते अंगारे तन को गर्माहट कराए…।
‘उर’ ने भी खुद को कैद कर डाला, अब नहीं जाना है बाहर,
घरों में रहकर ठंडी हवाओं से रिश्ता जोड़कर रहना है अंदर…॥