नोएडा (उप्र)।
पेड़ों की छाँव तले फाउंडेशन के तत्वावधान में राष्ट्रीय साहित्यिक मासिक गोष्ठी ‘यादगार लम्हे’ शीर्षक से की गई। ‘स्मृति शेष’ पद्मश्री प्रो. राम दरश मिश्र पर केंद्रित इस गोष्ठी में सभी ने क्रमवार अपनी यादों को भावपूर्ण शब्दों के साथ साझा किया तथा श्रद्धांजलि अर्पित की
श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले साहित्यकारों में प्रमुख रूप से प्रो. मिश्र की साहित्यिक बेटी आरती स्मित, शिष्य डॉ. जसवीर त्यागी रहे। प्रो. मिश्र के सनिध्य को प्राप्त करने वाली कवयित्री डॉ. भावना शुक्ल एवं हिन्दी प्रोफेसर डॉ. मंजुश्री वेदुला, मीडिया विशेषज्ञ सुशील भारती सहित शायर सुशांत चट्टोपाध्याय ‘सफ़ीर’ आदि ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रो. मिश्र की कविताओं और ग़ज़ल का पाठ भी हुआ।
आभासी माध्यम से आयोजित इस गोष्ठी में डॉ. आरती स्मित ने कहा कि पहली मुलाकात में ही मुझे मिश्र जी ने अपनी ‘प्यारी बेटी’ के सम्बोधन से मुझे बेटी का मान दिया, जबकि मैं उन्हें हमेशा से ही बाबू जी कहती रही। बाबू जी में अंश मात्र का भी दिखावा या असहजता का आभास नहीं था। जसवीर त्यागी ने कहा कि दादा ने साहित्य की हर विधा में प्रचुरता से लिखा है, इसलिए साहित्य के विद्यार्थी के लिए डॉ. मिश्र एक सम्पूर्ण पाठ्यक्रम से कम नहीं हैं।
संयोजक कवि अवधेश सिंह ने अपने एक दशक पुराने संबंधों के दौरान डॉ. मिश्र से संबंधित प्रसंगों पर कहा कि प्रो. राम दरश मिश्र शतायु रहे, इसलिए उनको शताब्दी के साहित्यकार के रूप में याद किया जाएगा। डॉ. शुक्ल ने डॉ. मिश्र की विद्वता और उनके प्रेम सहजता को याद किया।
संचालन अवधेश सिंह ने किया।
