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भारतीय साहित्य पर चिंतन-मनन की महती आवश्यकता-प्रो. बाबूराम

देहरादून (उत्तराखंड)।

वर्तमान में भारतीय ज्ञान परम्परा, सामाजिक समरसता, पर्यावरण, भारतबोध, टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, भारतीय साहित्य विश्व साहित्य पर चिंतन मनन की महती आवश्यकता है। निशंक जी का साहित्य विश्व साहित्य की श्रेणी में परिगणित होता जा रहा है।

अन्तरराष्ट्रीय साहित्य संस्कृति एवं कला उत्सव-२०२५ में यह विचार मुख्य वक्ता के रूप में ‘रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की रचनाधर्मिता संवाद और संवेदना’ विषय पर प्रो. बाबूराम (कुरुक्षेत्र विवि) ने व्यक्त किए। देहरादून के थानों ग्राम में पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. पोखरियाल द्वारा स्थापित विश्व के पहले लेखक गाँव के इस कार्यक्रम में डॉ. सविन्द्र शर्मा ने ‘निशंक के साहित्य में राष्ट्रीय चेतना’ और बीएमयू रोहतक की शोधार्थी का ‘निशंक के साहित्य में सामाजिक समरसता’ शोध प्रबन्ध और स्मृति भेंट किया। कार्यक्रम में ६० से अधिक हिंदी प्रेमी विभूतियों ने सहभागिता की। इस अवसर पर ‘निशंक’, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प‌द्मश्री डॉ. हरमोहिंदर सिंह बेदी, चिदानंद मुनि महाराज, केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू और ब्रिटेन के साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा, हिंदी विभाग (मुम्बई विवि) के अध्यक्ष प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।