सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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शूरवीर भारतीय सेना (विजय दिवस विशेष)….
नमन करते हैं आओ उन्हें,
मातृभूमि लिए सहज, मर मिटे
ऋणी हम, सदा सर्वदा; धरा धन्य,
पावन दिवस, शूरवीर धन्य।
क्या खोया क्या पाया यहाँ,
आज मिला, सब हमें यहाँ
अमर, शत्-शत् नमन करते हुए,
विजय कहलाई, शहीद हुए।
न परवाह किए अपनी वे,
न परवाह किए अपनों की वे
देश की खातिर मर मिटे वे,
कैसे अनोखे मानव थे वे।
शत्रु आत्मसमर्पित, बिना शर्त,
ऐतिहासिक विजय, निभा शर्त
वतन मनाए (५४ विजय दिवस),
‘शहीद स्मारक गाथा’ दिवस।
अद्भुत शौर्य साहस उनमें,
अद्भुत धैर्य अभिमान उनमें
मानवता, न्याय, राजनीतिक, दूर- दृष्टि,
‘भारत’ पाक की निर्णायक फतह।
स्वजनों को सम्मानित आज,
अपनों की आज ताजा याद
छलका दर्द अपनों का आज,
पथराई आँखें उस वक़्त से आज।
दिखा भारत सैन्य शक्ति तभी,
नसीब न हुई मृत देह तभी
अस्थियाँ ही नसीब हाय ! हुई,
दिलाकर तसल्ली अमर हुईं।
‘स्वर्णिम विजय’ शहादत गाथा,
‘लगेंगे मेले समर्पित’ वीर सपूतों।
अर्पित श्रद्धा सुमन हे!वीर सपूतों,
‘विजय मशाल’ यात्रा सच्ची गाथा॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।