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अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे

क्रिश बिस्वाल
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे,
अभी दिवस का पहर शेष है
राग-द्वेष मन,भरा क्लेश है,
उर के अन्ध-विवर में अब भी
सुलग रही भीषण कामाग्नि,
मेरे अन्तर का दावानल ढल जाने दे।
अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे…

मोहपाश में बंधा हुआ,
मन काम-पिपासा में जकड़ा
तन अग्निशिखा का पा आलिंगन,
शायद तप बन जाए कुन्दन
बूंद-बूंद गल रहा दर्प ये,
गल जाने दे।
अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे…

कौन है अपना ? कौन पराया ??
ब्रह्म-बोध ये किसने पाया
उत्सव बना आदमी जब भी,
निज-मंथन वो कब कर पाया
छलता है धृतराष्ट्र,
जो छल का,छल जाने दे।
अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे…

रिश्ते-नाते खूब निभाए,
गीत खुशी के जीभर गाए
भूल गया मैं चकाचौंध में,
हद से बढ़ते अपने साए लील रहे अस्तित्व;
जो पल वो,टल जाने दे।
अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे…

जीवन-एक अबूझ पहेली
सुख-दु:ख इसकी सखी-सहेली
दु:ख-धीरज की अग्निपरीक्षा,
सुख-बालू से भरी हथेली व्यर्थ गणित
क्या खोया-पाया,चल जाने दे।
अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे…

भस्म पे माना हक है,
तेरा जग ये सारा
रैन-बसेरा जीवन-पथ पे चिता है,
डेरा जाने कब फिर लगेगा फेरा शिकन यथावत्
विकट भाल के,बल जाने दे।
अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे…

कल जब फिर सारे आएंगे,
‘फूल-अस्थियाँ’ चुन जाएंगे
साथ गईं तो होंगी यादें,
और उन्हें हम अपना क्या दें ?
शेष नहीं,अब सफर खत्म पर,कल जाने दे।
अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे…

मृत्यु-गीत अंतिम हस्ताक्षर,
सीख सका न ‘ढाई-आखर’
जर्जर काया-मन अकुलाया,
पीड़ा का बाजार सजाया
कड़ी धूप; मैं लिए पींठ पर ‘जल’ आने दे।
अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे…

मैं,माटी का फूल,
नया जीवन पाऊँगा भस्मीभूत हो;
वातायन पर छा जाऊँगा,
एक नया संकल्प लिए मैं
नई रौशनी शंखनाद नव-युग का करते,
फिर आऊँगा,कटु सत्य है।
बहुत खलेगा,खल जाने दे।
अघोरी! चिता तनिक जल जाने दे…॥

परिचय-क्रिष बिस्वाल का साहित्यिक नाम `ओस` है। निवास महाराष्ट्र राज्य के जिला थाने स्थित शहर नवी मुंबई में है। जन्म १८ अगस्त २००६ में मुंबई में हुआ है। मुंबई स्थित अशासकीय विद्यालय में अध्ययनरत क्रिष की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति की भावना को विकसित करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैं। काव्य लेखन इनका शौक है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।’

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