कुल पृष्ठ दर्शन : 486

You are currently viewing साथ निभाए,वो घर-परिवार

साथ निभाए,वो घर-परिवार

सोनिया सैनी
जयपुर(राजस्थान)
*************************************

घर-परिवार स्पर्धा विशेष……

हर एक रंग बदलते,
मौसम में साथ निभाए
वो है घर-परिवार।

मुसीबत में ढाल बन जाए,
कभी खुशियों
की चाल बन जाए,
वो है घर-परिवार।

गम के अंधेरों में,
प्रेम का प्रकाश बन जाए
कंधे पर रहे जिसका हाथ,
और हँसते-हँसते दिन कट जाए
वो है घर-परिवार।

सपने पलते हैं जहां,
अपने मिलते हैं जहां
सभी हिलते-मिलते,
खिलते हैं जहां
वो है घर-परिवार।

संस्कृति,सभ्यता,
इंसानियत का पाठ पढ़
काबिल बनते हैं जहां,
दया,ममता,करुणा
त्याग,बलिदान,समर्पण,
बालक सीखते हैं जहां
वो है घर-परिवार।

प्यार प्रेम की डाली,
पर तरह-तरह के
फूल खिलते हैं जहां,
वो है घर-परिवार॥