रोहित मिश्र
प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)
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घर-परिवार स्पर्धा विशेष……
बबलू की मम्मी-‘बबलू के पापा,आज तुम्हारे छोटे भाई फिर कुछ पैसे उधार माँग रहे थे। बोल रहे थे भाभी जल्दी लौटा दूँगा पैसे…ऐसे भाई किसी को न दें भगवान…जब देखो तब उधार माँगते रहते हैं।’
बबलू के पापा-‘जरूरत होगी,तभी तो उधार माँग रहा होगा। बिना जरूरत के कोई उधार क्यों माँगेगा ?’
बबलू की मम्मी-‘देखो रोज-रोज के झंझट से छुटकारा पाओ…और बँटवारा हो जाए तो अच्छा रहेगा। उसका द्वार अलग,मेरा अलग…तब ये मुसीबत भी छूट जाएगी,और सुकून का जीवन जी सकेंगे हम लोग…।’
बबलू के पापा-‘अच्छा जाने दो,अपना मूड मत खराब करो। जाओ चाय ले आओ…।’
कुछ दिन बाद…बबलू की मम्मी-‘अरे ये एसी क्यों नहीं चल रहा है।….
एसी का रिमोट हाथ में पटकते हुए….’इस एसी को इसी समय खराब होना था….अब इस चिलचिलाती गर्मी में कैसे रहूँगी ?’
बबलू के पापा-मम्मी दोनों परेशान थे। जैसे ही बबलू के पापा के छोटे भाई राजेश को ये बात मालूम हुई कि बड़े भाई का एसी खराब हो गया है, वो तुरंत उनके पास पहुँचा और कहा-लाओ भाभी मैं एसी बना देता हूँ…. परिवार का आदमी ही परिवार के काम आएगा…न कि गैर…।
एक घंटे में ही राजेश ने एसी को ठीक कर दिया तो बब्लू के पापा ने कहा कि…- ‘कितना हुआ ?’
राजेश-‘अरे नहीं भर्ईया,कुछ खर्चा नहीं हुआ है।’
बबलू के पापा-‘अरे मेहनताना तो ले लो….।’
राजेश-‘अरे भर्ईया ऐसे मुझे शर्मिंदा न करें। आपके इतने एहसानों के सामने…ये कुछ भी नहीं है…
आपने भी तो मेरी कर्ई बार मुश्किल समय में मदद की है। ये तो उसके सामने कुछ भी नहीं है…।’
यह सुनकर बबलू के पापा ने मुस्कुराते हुए अपने छोटे भाई को गले लगा लिया। इस दृश्य को देखकर बबलू की मम्मी की आँखों में आँसू आ गए।