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पूछते श्री भरत-मेरे भारत का क्या हुआ ??

गोलू सिंह
रोहतास(बिहार)
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भाग-२……..

हे श्री भरत! आपके भारत को खंडित और दंडित किया गया,
परिवार विशेष में सत्ता आई…
दुष्टों को महिमा मंडित किया गया।

इस आर्यावर्त के आर्य को विदेशी का दर्जा दिया गया!
भारत माता की छाती पर पापियों का मुजरा किया गया!

ना श्री राम रहे,ना वो इतिहास रहा,
ना मन में किसी के उल्लास रहा।
ना गाय सुरक्षित,ना ही नारियाँ,
ना कानून पर कोई विश्वास रहा।

बस स्वार्थ की नीति रही,
भ्रष्टाचार का संदेश रहा!
अधर्म के गर्त में डूबता यह श्री देश रहा।

भेष,भाषा सब बदल गए,
गुलामी का परिवेश रहा!
श्री भारत के सर्वोच्च पर बैठा स्वार्थी परिवार विशेष रहा।

फिर चलकर आई मानसिक गुलामी,
पीढ़ी-दर-पीढ़ी गाँवों में!
सारे लक्षण दिखने लगे भारतीयों के भावों में।

फिर चला दौर अप्रत्यक्ष गुलामी का,
एक सोची-समझी साजिश थी!
सत्ता का हस्तांतरण फिर गुलामी की कोशिश थी।

कश्मीर में वह आर.पी.सी.(३५ए,३७०) श्री भारत की यह दुर्गति थी!
परिवार विशेष के स्वार्थ की यह एक सबसे बड़ी कुरुति थी।

कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार,बेटियों का बलात्कार,
किसी सत्ता की सहमति थी!
सर्वोच्च पर बैठे स्वार्थियों के मन की यह भी एक विकृति थी।

पर भूल बैठे थे वो अहंकार में कि सत्ता का परिवर्तन होना है,
भीष्म अगर दोषी हैं,भीष्म का मर्दन होना है।

यह भारत माता है,आर्य पुत्रों का आवाहन करती है
वीर नहीं हो शेष अगर गर्भधारण करती है!
और..
जिस दिन से मेरे राम जगे,उस दिन से मेरा स्वाभिमान जगा,
धीरे-धीरे करके यह पूरा हिंदुस्तान जगा॥

परिचय-गोलू सिंह का जन्म १६ जनवरी १९९९ को मेदनीपुर में हुआ है। इनका उपनाम-गोलू एनजीथ्री है।lनिवास मेदनीपुर,जिला-रोहतास(बिहार) में है। यह हिंदी भाषा जानते हैं। बिहार निवासी श्री सिंह वर्तमान में कला विषय से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी लेखन विधा-कविता ही है। लेखनी का मकसद समाज-देश में परिवर्तन लाना है। इनके पसंदीदा कवि-रामधारी सिंह `दिनकर` और प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद जी हैं।