अभिनंदन, मुख्य न्यायाधीश पवन कुमार भीमप्पा बजंथ्री ने जनहित मेें सीखी राजभाषा हिंदी

देश-दुनिया के बहुत सारे लोगों को ध्यान होगा कि वर्ष २०२२ के पूर्व पटना उच्च न्यायालय में पटना उच्च न्या. के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पवन कुमार भीमप्पा बजंथ्री (अब पटना उच्च न्या. के मुख्य न्यायाधीश) और पटना उच्च न्या. के अधिवक्ता इंद्रदेव प्रसाद के बीच बहस का एक वीडियो सामाजिक मीडिया पर बहुत प्रसारित हुआ था। … Read more

माँ कालरात्रि-७

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** महाकाल की शक्ति महाकालरात्रि,प्रचंड शक्तिरूपा, शनि अधिष्ठात्रीअंधकार में ज्वाला बनकर प्रगटती,काल के विरूद्ध सप्तम दुर्गा उठती। अमारात्रि सम देह, गले विद्युत माला,दुष्ट रक्तबीज संहारे पीती रक्त प्यालाबिखरे केश विकराल झंझा की भांति,श्वास-प्रश्वास से निकले अग्नि कांति। सृष्टि के संताप में सब मंगल करती,धारती रौद्र रूप, दानव को दलतीचर्म वस्त्र, … Read more

‘टूटा है अब मौन’ के प्रेमगीतों को बताया दार्शनिक गहराई वाला

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मुम्बई (महाराष्ट्र)। अंधेरी पश्चिम स्थित मणिबेन नानावटी महिला महाविद्यालय में ‘हिंदी दिवस’ मनाया गया। इस आयोजन में डॉ. नीलिमा पाण्डेय की पुस्तक ‘टूटा है अब मौन’ (डॉ. नीलिमा पाण्डेय) प्रेमगीत काव्य संग्रह पर चर्चा रखी गई। अधिकतर अतिथियों ने इसे दार्शनिक गहराई वाली पुस्तक निरूपित किया।महाविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रवक्ताओं के साथ ही मुख्य … Read more

भाव-उपहार भर माँ

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** पधारो हे! जगजननी अंबिका,नव-नव रूप धर अंबिकासिंह की सवारी, नेह बरसाती,तुम जगत माँ, शिवा साधिके भवानीतुम बिन संसार,तुम्हारी छत्र-छाया बिन मानव अधूरा हैआओ हे!शिव-शिवा संग माँ। विराजो हे! जगजननी अंबिका,नवरात्र, अभिनंदन हे! अंबिकासब दुःख टारो, उठा जग बीड़ा,पंडाल सजे, भक्तजन बुलाएं अंबिकासबकी निगाहें तुम पर,त्राहि-त्राहि मची, दीन-हीन परहर लो, सबकी … Read more

दुर्गा देवी महारानी माँ

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* रुनझुन करती आयी माँ,सबके मन को लुभाई माँस्वागतम् हे दुर्गा महारानी माँ। श्रद्धा सुमन अर्पित है,जन-मन आज हर्षित हैश्रद्धा भावों का संचार है,तुमसे ही विनय आभार है। दुखों का निवारण हो,शुभ-शुभ का आगमन हो,जीवन कष्ट सब हट जाएँ,बाधाएं सब मिट जाएँ। ज्ञान बुध्दि विद्या विवेक हो,सनमत प्रगति भरपूर हो,सत्य स्नेह … Read more

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की सेवाओं में हो रहा राजभाषा अधि. का उल्लंघन

सेवा में, संयुक्त सचिव विभाग, गृह मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली विषय: इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की डिजिटल सेवाओं, भर्ती पोर्टल एवं मोबाइल एप में राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन। महोदय,मैं आपका ध्यान इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक द्वारा राजभाषा नीति और संबंधित नियमों के लगातार उल्लंघन की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ। शिकायत बिंदुवार इस प्रकार … Read more

माँ कात्यायनी-६

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** कात्यायन ऋषि ने तप घोर किया,भुवनेश्वरी ने पुत्री बन जन्म लियासुता कात्यायनी षष्टम नव-रजनी,अरि-दल-विदारणी, महातेजस्विनी। स्वर्ण सदृश्य आभामय प्रखर काया,चारभुजा शस्त्र धारिणी, योगमायारक्तरंग वस्त्रधारिणी, रूप मनोहारी,काम, अर्थ, धर्म, मोक्ष दें माँ प्यारी। दानव दलन को माँ धरती पर आई,महिषासुर वध से अमर कीर्ति पाईसुर-मुनि-वंदित-पग-पद्म-कमल,शार्दूलवाहिनी माई का हृदय तरल। गोपियों … Read more

मनुज प्रकृति उपवन सम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मनुज प्रकृति उपवन समा, श्री वर्धन तरु ज्ञान।सुदृढ़ पादप चरित हो, मानक कीर्ति बखान॥ मजबूती देती तना, शाखाओं विस्तार।शील धीर त्यागी विनत, रीति नीति आधार॥ हरित भरित किसलय ललित, पत्ती ऊर्जावान।संस्कार परिवार से, क्षमा दया मतिमान॥ सावन बरखा आगमन, हरियाली उद्यान।खिलती कलियाँ कुसुम बन, सुरभित सम मुस्कान॥ फलदायी पुरुषार्थ … Read more

चेतना ही नहीं, प्रेम और श्रृंगार के भी कवि हैं दिनकर

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जयंती संग पुस्तक चर्चा… पटना (बिहार)। प्रत्येक कवि हृदयवान और संवेदनशील होता है। उसके कोमल हृदय में प्रेम और करुणा का सागर लहराता है। इसीलिए प्रत्येक मौलिक कवि में प्रेम, प्रकृति और श्रृंगार की प्रधानता होती है। समय-समय पर वह ओज और आक्रोश के रूप में भी प्रकट होती है। महान राष्ट्रकवि दिनकर में एक … Read more

नदी:संकल्प लो, जीवन बचाओ

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)***************************************** ‘विश्व नदी दिवस'(२८ सितम्बर) विशेष… बहती धारा का ये गीत है प्यारा,नदी ही जीवन का आधार हमारा। इसकी लहरों में कल-कल सुर है,धरती का पूरा अस्तित्व उधर है। आज प्रदूषण से घिरी नदी है,प्यास से तड़पती खड़ी नदी है। हमने ही तो दीं चोट हजार,अब बनें इसके रखवाले बार-बार। संकल्प करें-इसे … Read more