सामाजिक सरोकारों की प्रखरता बनी रही है आज तक की पत्रकारिता में
वार्ता... दिल्ली। हिंदी पत्रकारिता का उद्भव ही साहित्यिक चेतना के साथ हुआ था और ‘उदन्त मार्तण्ड’ से लेकर आज तक की पत्रकारिता में भाषा की आत्मा, संवेदना की तीव्रता और…
वार्ता... दिल्ली। हिंदी पत्रकारिता का उद्भव ही साहित्यिक चेतना के साथ हुआ था और ‘उदन्त मार्तण्ड’ से लेकर आज तक की पत्रकारिता में भाषा की आत्मा, संवेदना की तीव्रता और…
गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** कभी मन के अंधेरे से,उजाले तक सफर किया है ?क्या कभी आपने अपने,विचारों को जीया है ?जरा उतरिए मन की,गहराइयों के धुंधलकों मेंदेखिए ईश्वर ने क्या,किस्मत…
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** बेटी हो तुम… तुम दीप बनी रहो,अंधेरों में भी उजास बनी रहोतुम खूब उड़ो, बढ़ो, मगर संयम के साथ-चरित्र की डोर थामे, हर बात में विश्वास…
संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* बरसात ही तो है जो भिगो देती है,तन मन और धन भीगर्मी की तपिश से झुलसे हुए तन,एक हल्की बौछार की चाह मेंतड़पते रहते हैं इंतज़ार…
वार्ता... दिल्ली। विदेश में १८८३ से हिंदी पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है और विभिन्न देशों में प्रकाशित होने वाले पत्र-पत्रिकाओं में भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष के पक्ष में…
पटना (बिहार)। मनीषी विद्वान, उदारमना व्यवसायी और हिन्दी के अनन्य भक्त रामधारी प्रसाद 'विशारद' के सदप्रयास और सक्रियता से ही वर्ष १९१९ में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्थापना हुई…
जबलपुर (मप्र)। फराह नसीम (केरल) को हिंदी रत्न सम्मान दिया गया है। कवि संगम त्रिपाठी (संस्थापक प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा) व गणेश श्रीवास्तव प्यासा (जबलपुरी संस्थापक सशक्त हस्ताक्षर) ने इनके…
नोएडा (उप्र)। सूर्या संस्थान नोएडा द्वारा भाषा विज्ञान एवं कोष विज्ञान के प्रसिद्ध विशेषज्ञ विद्वान प्रो. त्रिभुवन नाथ शुक्ल (जबलपुर) की अध्यक्षता में गोष्ठी आयोजित की जाएगी। यह २१ जून…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ जीवन और मृत्यु के बीच,फंसा हुआ है संसारकरता बहुत कुछ अपने लिए,पर सब है बेकारक्योंकि ज़िन्दगी संघर्षों की कहानी है। तपती धूप में पसीना बहा…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** भूल गए अपनी सब बोली,अंग्रेज़ी की पुस्तक खोलीबीज बो रहे हैं हम जैसा,वृक्ष बनेगा बिल्कुल वैसा। हिंदी का क्या काम यहाँ है,नहीं किसी को ज्ञान यहाँ हैदुनिया…