कब कर दें धराशाई
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ मुसाफिर अपनी गठरी बांध,चल रहा तू अपनी हर चालसमय का खेल होता है अलबेला,ऊँची उड़ान को कब कर दें धराशाई। तू सोचता है तेरे से ज्यादा समझदार और कोई नहीं,पर भूल जाता है तुझे बनाने वाले को सब पता हैक्यों ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती,ऊँची उड़ान को … Read more