तुम मात्र अनुगामिनी
डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ कह तो दिया जाता है मुझसे,अक्सर…सब कुछ तुम्हारा ही तो है,घर-द्वार, खेत-खलिहानबाग-बगीचे, जमीन-जायदाद,पर…अंकित कहीं नहीं होता है,किसी भी दस्तावेज़ परमेरा हकीकी नाम…नहीं रख सकती मैं अपनी मर्जी से,बाग-बगीचे और खेतों की मेड़ों परखनकती पायलों से स्वछंद कदम…नहीं मांग सकती मैं अपनी मर्जी से,चंद रुपए-पैसे और खर्च के हिसाबरसोई के किसी … Read more