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‘माँ’ पर सुनाई सुंदर रचनाएँ

इंदौर (मप्र)।

ईश्वर द्वारा बनाई गई श्रेष्ठ कृति है माँ। माँ ईश्वर का ही दूसरा रूप है। माँ से ही मानव का अस्तित्व है। माँ शब्द में पूरी कायनात समाई है।
‘मातृ दिवस’ पर संस्था ‘अखंड संडे’ द्वारा आयोजित अमृतांजलि काव्यगोष्ठी में कवियों ने माँ के प्रति अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति को शब्दों में पिरोकर ऐसी रचनाओं में प्रस्तुत किया तो हर कोई माँ के लाड़-प्यार-दुलार की पावन अमृत धारा की मस्ती में सराबोर हो गया। इसी उपलक्ष्य में रचनाकार मुकेश इन्दौरी ने माँ को समर्पित गज़ल ‘माँ के कदमों में सर झुकाते हैं,अपनी तकदीर खुद बनाते हैं,माँ की ममता की रोशनी से ही,तारे किस्मत के जगमगाते हैं…’ सुनाकर दाद बटोरी। रागिनी शर्मा ने ‘माँ मैं अंश तुम्हारी,गर्भ में थी धड़कनें तुमने…’ सुनाई।
गोष्ठी में संतोष मोहंती ने ‘माँ तुम ममतामयी तुम स्नेहमयी,तुम भाव-मयी निर्झर-सी सरिता…’,सुनाई तो अनिल ओझा सहित विक्रम क्षीरसागर,डॉ. शशि निगम,सरला मेहता,निरूपमा त्रिवेदी एवं डॉ. पुष्पा पटेल आदि ने भी माँ पर रचना प्रस्तुत की।

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