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बिन मौसम बरसात

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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बिन मौसम बरसात हो गई,
बूंदों की बौछार हो गई
बदली जग ने काया,
मेरा मन हर्षाया…l
थोड़ा-सा शरमाया…ll

ठंडी-ठंडी पवन चले,
हाय ये हमको सर्दी लगे
पत्ते-पत्ते बूटे-बूटे,
डालियों पर लटके उल्टे
कैसा मौसम आया
मन मेरा हर्षाया…l
बिन मौसम…ll

गुन-गुन,गुन-गुन भंवरा करे,
कलियों के नखरे बड़े
गुलशन-गुलशन महक गये,
फूल सारे खिल गये
नशा ये कैसा छाया…
मौसम कुछ बौराया…l
बिन मौसम…ll

बदली छा-छा जाती है,
बार-बार तरसाती है
राह निहार तू अपने सजन की,
ये मुझको समझाती है,
मेरा मन झल्लाया…
कैसा मौसम आया…l

बिन मौसम बरसात…,
बूंदों की बौछार हो गई…ll

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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