कुल पृष्ठ दर्शन : 330

पुस्तक अपनी मित्र

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
***************************************

विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष……

पुस्तक अपनी मित्र है,रखना इसे सम्हाल।
साथ निभाती है यही,हर युग औ हर काल॥

शब्दों का भण्डार है,यही खजाना ज्ञान।
जो भी पढ़ता है इसे,वो बनता धनवान॥

बच्चे-बूढ़े हैं सभी,लेते इससे ज्ञान।
फुर्सत में सुख देत हैं,धर्म-कर्म विज्ञान॥

पुस्तक की दुनिया भली,देती इक संसार।
अपनों के आनन्द में,फिर खो जाते यार॥

जीवन की सच्चाइयाँ,इसमें रहती खास।
ज्ञानवान की तो सभी,मिट जाती है प्यास॥

अच्छी-अच्छी पुस्तकें,देती शुद्ध विचार।
संस्कारी बनते सभी,होय नेक व्यवहार॥

मानवता का पाठ यह,सिखलाती है रोज।
नये-नये फिर ज्ञान का,होpती रहती खोज॥

सुन्दर स्वच्छ समाज का,पुस्तक है आधार।
करे प्रगति सब लोग हैं,उन्नति तब संसार॥

जीवन जीने की कला,सीखे सब संसार।
मन को मिलती रौशनी,सादा उच्च विचार॥

ज्ञानी को बस चाहिए,सदा ज्ञान की बात।
मूर्खों को तो क्या पता,पुस्तक की सौगात॥