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दोस्ताना

विद्या होवाल
नवी मुंबई(महाराष्ट्र )
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विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष……

ये दोस्ताना हमारा कुछ अलग अंदाज से भरा है,
हमसे न कभी रूठा
न कभी तेरा-मेरा साथ छूटा है।
इस अंदाज ने आज भी एहसास को जगाए रखा है।

इसके तो हर पन्ने पर नई और अनोखी कहानी है,
हर मोड़ पर ज्ञान की अलख
जला राह दिखानी है,
जीवन को आत्मविश्वास के उजाले से उजागर कराना है।

इस अंदाज से कोई कवि तो कोई शायर बन बैठा है,
हर दिल मेरे दर्द को
मरहम लगाता नजर आया है,
कल्पनाओं के बीज बो मन में उम्मीद का वटवृक्ष लगाया है।

हमने बस अपने अंतरंग में इसे उतारा है,
अब नित इसके संस्कारों की
छाँव में चलना है,
इसके नव विचारों से जीवन की नैया पार करानी है॥

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