रजनी और सितारे

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* टिम-टिम दीप जले हैं गगन में संध्या हुई विदा,अस्ताँचल के वर्ख सिंदूरी अभी- अभी हुए जुदानयनों से ओझल हो गई पहाड़ों की श्रृंखला सदा,पंछियों के झुण्ड और कतारें हो रही है जुदा-जुदा। तारों की झिलमिल रोशनी छूने लगी जमीं क़ो है,कल-कल किरणों की चासनी पीने लगी नमी को हैफ़ैल रहा तमस … Read more

शुभ दिन आया

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** जन्मदिवस का शुभ दिन आयाखिली रात की रानी है,मंद-सुगंध पवन है बहतीआयी शरद सुहानी है। खट्टी-मीठी प्यारी यादेंउर में वीणा के तार बजे,जीवन की इस भाग-दौड़ मेंअनुपम-सा उपहार सजे। लिखी कहानी चार दशक कीदशक आधा और बिता आए,बढ़ते जाते कदम जो आगेअनुभव बहुत जुटा पाए। बीते वर्ष सुहाने क्षण वोहृदय पटल पर … Read more

कौन बनेगा करोड़पति ?

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** करोड़पति के सेट पर, हो गया आज बवाल,कंप्यूटर स्क्रीन पर, आया गज़ब सवाल। आया गज़ब सवाल जीतकर, फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट,हॉट सीट पर आ गए, नेता जी एक भ्रष्ट। पहला प्रश्न जिताएगा, रुपये पाँच हजार,देश में भ्रस्टाचार का, कौन है जिम्मेदार ? सही जवाब बतलाइए, ऑप्शन ये रहे चार,ए) जनता, बी) मंत्री, … Read more

ज़िंदगी फिर कहाँ मिलती ?

वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ धूप को बना हमसफर,परछाइयाँ चलती रहती हैं चाँद को टांग कर टहनी पर,हवाएं पंखी झलती हैं झरनों के शोर को भर आँचल में,नदियाँ खामोशी से निकलती है पंछियों के नीड़ में दुबक कर,एक नन्ही-सी ज़िंदगी पलती है। भौरों की गुन-गुन के स्वरों से,मचल कर एक कली खिलती है। भोर से सांझ के सफ़र … Read more

जागो

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** जाग गए हैंसूर्य नारायण,तुम क्यों अब तक सोते हो ?खिल उठे कमल सरोवरसमय सलोना क्यों खोते हो…? कमलों पर यूँबिखर रजत कण,रश्मियों सँगहोते जगमग,चिड़िया चहक उठी पेड़ों परक्या तुम अनोखे हो…। उठा के हल,कृषक चलेमरुभूमि भी उपजाऊ बने।धन्य हो कृषक तुम,धरा में श्रम के मोती बोते हो…॥

आओ कर लें नमन

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* सूर्य का ऊर्जावान प्रकाश,हमेशा हमारे साथ हैचाँद की रुपहली चमक,रात भर उज्ज्वल है। सितारे आसमान पर,झिलमिलाते हैं धीमे-धीमेधरती माँ ने दिया है देखो,अपना ममता भरा आँचल। नीले गगन के नीचे परिंदों की तरह,खुली साँस ले सकते हैं हमनदियाँ दें जीवनदायिनी जल,ऊँचे पर्वत रक्षक हैं सीमा पर। वृक्ष दें हमें ताजी पवन,अनाज, … Read more

संध्या रजनी का आलिंगन

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* ढले-ढले रविराज अभी जो हुए हैं देहरी पार,रक्तिम, स्वर्णिम वर्णों का पसरा है अम्बारऊँचे-ऊँचे पहाड़ों पर फैले संध्या के अभिसार,उलझा-उलझा आकाश है आखिर क्या है सार! गुलाबी सिंधुरी पखरण है जहाँ अस्त हुआ सूरज,आशा भरे क्षितिजों ने अभी भी खोया नहीं धीरजकिरणों की याद में पहाड़ों की चोटियाँ हुई नीरज,कलियाँ जो … Read more

शिक्षक है जीवन

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** शब्दों से गढ़ती है जीवन, ज्ञान का सागर भरती है। भ्रम के बादल दूर भगाती, माँ-सी ममता देती है। छिपी प्रतिभा बाहर निकालती, वाणी में संस्कार भरती है। हर प्रश्न का उत्तर बनती, सच्चा सहारा बन जाती है। कक्षा में मुस्कान है लाती, वह कल का निर्माण करती है। शिक्षा का आधार … Read more

गुल्लक का खेल

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** गुल्लक को देखा जब मैंनेबचपन आँखों में तैर गया,याद मुझे आयी छुटपन कीकैसा माँ ने खेल किया। सबको गुल्लक बाँटी थी औरबोली इस पर नाम लिखो,अपनी-अपनी सभी सम्हालोफिर देखो यह काम करो। पास तुम्हारे रंग पड़े हैंइसको खूब सजाओ तुम,जो कुछ पास में रखा हैउससे काम चलाओ तुम। रोज़ मैं दूँगी एक … Read more

पिता को समझना आसान नहीं

कल्याण सिंह राजपूत ‘केसर’देवास (मध्यप्रदेश)******************************************************* वो भावनाओं में नहीं,वह जिम्मेदारियों को निभाने मेंपूरे जीवन को दाँव पर लगा देता है। पत्नी की मुस्कराहट,बच्चों के सपनों को पूरी शिद्दत और लगन से पूरा करता हैनारियल के सामान पिता,परिजनों को क्रूर, कुरूप, सख्त लगता है। एक समय के बाद कहाँ समझते, उनके जज्बातों,भावनाओं, विचारों को…जो पिता पूरी … Read more