नारी, तुम अब उड़ना सीखो
डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ नारी तुम अब उड़ना सीखो,छोड़ो, सौंदर्य और साज-श्रृंगारदेह के हैं सब माया-जाल,है नश्वर, ऐ सुनो मानवीधूल फांकते नंगे पैरों से,कंकड़-कंकड़, पत्थर-पत्थरपाँवों को घिसना सीखो,नारी तुम अब चलना सीखो। नभ से नहीं नभचर से तुम,दाने- दाने को चुगना सीखोचलो वहाँ पर धूप जहां पर,काले होंगे तेरे, रूप तो क्या ?मैले होंगे … Read more