इश्क़ नहीं इंकलाब
डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** फिर से दूसरा ख्वाब सजाकर देखूंगीअपनी नींदें आप उड़ाकर देखूंगी। जिस दिन मेरी खामोशी दम तोड़ेगी,अपना असली रूप दिखाकर देखूंगी। दरियाओं ने मेरी कीमत कम जानी,सेहराओं की प्यास बुझाकर देखूंगी। दीवारें छत और न कोई दरवाज़ा,ऐसे घर को आग लगाकर देखूंगी। सीने पर जो बुजदिल वार न कर पाया,उसकी जानिब … Read more