न्यायपालिका की अग्नि-परीक्षा

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** हमारे सर्वोच्च न्यायालय की इज्जत दांव पर लग गई है। पहले तो प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन-उत्पीड़न का आरोप लगा और अब एक वकील…

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राष्ट्रीय चेतना कॆ लिए निजी स्वार्थ का बलिदान जरुरी

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) *************************************************************************************** राष्ट्रीय चेतना का अभिप्राय(समाज की उन्नति) राष्ट्र की चेतना-प्राण शक्ति समाज से है। राष्ट्र शब्द समाज के अर्थ में ही प्रयुक्त होता है। जिस क्षण समुदाय…

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प्रधान सेवक का अहं विकास में बाधक

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** एक जमाना था जब कुआँ और तालाब चोरी हो जाते थे,तथा बाँध भी ग़ुम जाते थे और उनकी जाँच होने पर सही होती थी पर वर्तमान…

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श्रीलंका के आतंकी विस्फोटों से जुड़े सवाल

ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* श्रीलंका अपनी शांति और मनोरमता के लिये नई इबारत लिख ही रहा था कि वहां हुए सिलसिलेवार शक्तिशाली बम विस्फोटों एवं धमाकों केे खौफनाक तथा त्रासद…

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ईरान पर अमेरिका की दादागिरी

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** परमाणु-समझौते को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प का अमेरिका,ईरान से इतना नाराज है कि उसने अब ईरानी तेल खरीदने पर प्रतिबंध की घोषणा कर दी है। २…

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वास्तविक मुद्दों को गुमराह कर `आरोप-प्रत्यारोप` की राजनीति

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जहाँ सभी वर्गों,जातियों एवं सम्प्रदायों से जुड़े लोगों को अपनी बात कहने और अपना पक्ष रखने की…

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राजनीति का धर्म या धर्म की राजनीति

डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** धर्म का कार्य है लोगों को सदाचारी और प्रेममय बनाना और राजनीति का उद्देश्य है लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उनके हित में…

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श्रीलंका में अपूर्व आतंक

डॉ.वेदप्रताप वैदिक गुड़गांव (दिल्ली)  ********************************************************************** श्रीलंका के सिंहल और तमिल लोगों के बीच हुए घमासान युद्ध ने पहले सारी दुनिया का ध्यान खींचा था लेकिन इस बार उसके ईसाइयों और…

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जरूरत है राजनीतिक परिष्कार की

ललित गर्ग दिल्ली ******************************************************************* इन आम चुनावों में बड़े विरोधाभास दिख रहे हैं। एक बड़ा विरोधाभास है राजनीतिक घोषणाओं एवं आश्वासनों में,जो तमाम अंधेरों के बीच चांद उगाने की कोशिशें…

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लोकतंत्र में मतदाता की भूमिका

शम्भूप्रसाद भट्ट `स्नेहिल’ पौड़ी(उत्तराखंड) ************************************************************** कहते हैं कि "लोकतंत्रीय शासन व्यवस्था अंतर्गत मतदाता देश का भाग्य विधाता होता है।" मतदाता के मत की शक्ति का आंकलन तब अत्यंत महत्वपूर्ण हो…

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