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प्रधान सेवक का अहं विकास में बाधक

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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एक जमाना था जब कुआँ और तालाब चोरी हो जाते थे,तथा बाँध भी ग़ुम जाते थे और उनकी जाँच होने पर सही होती थी पर वर्तमान में हमारे प्रधान सेवक ने कहा कि गढ्ढे भरने का काम किया है तो इसका अर्थ दो प्रकार का है-जैसे प्रधान सेवक ने इतना काम किया कि उस काम को देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी की जरुरत है। इसका आशय यह है कि उनके कार्यकाल में कितने शौचालय बने,कितने घर बने और कितनी सड़कें बनी,उनमें बहुत घालमॆल हुआ है,क्योंकि अभी उनकी सत्ता है तो कोई जाँच करने को तैयार नहीं होगा,बल्कि सच्चाई कुछ और बयान करती है।
नेहरू-गांधी पर परिवार सीधा हमला बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनकी ४ पीढ़ियों ने शासन किया और देश में गरीबी बढ़ती चली गई। नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘देश के पहले प्रधानमंत्री ने गरीबी को दूर करने का वादा किया और गरीबी बढ़ाते गए। फिर उनकी बेटी आई और गरीबी मिटाने का नारा देकर गरीबी बढ़ाई। फिर बेटी के बेटे ने ऐसा किया और फिर उस बेटे की पत्नी ने रिमोट सरकार चलाकर गरीबी बढ़ाई। अब शहजादे आए हैं और गरीबी मिटाने की बात कर रहे हैं।’ इस बिंदु पर प्रधानसेवक की बात की पुष्टि इस बात से होती है की वे भी संघ परिवार के रिमोट से चलते हैं,प्रधान सेवक ऊपर से बलशाली जरूर दिखते हैं पर उनके पीछे संघ का हाथ है।
‘गढ्ढा भरने में समय बिताया’ का मतलब नेहरू गाँधी के समय देश स्वंतंत्र हुआ,उस समय देश में क्या स्थिति थी उस स्थिति में यदि प्रधान सेवक होते तो क्या वे अपनी पार्टी के लिए क्या कर पाते,देश की बात अलग है। जब मनुष्य भरे पेट होता है तो उसे गर्राहट आती है और जब भूखे पेट होता है तो उसका भगवान रोटी होती है। इस समय ‘मैं-मैं’ बहुत हो रहा है और जो ‘मैं-मैं’ करता है (मेमना) उसका हश्र सब जानते हैं। ईश्वर की कृपा से प्रधान सेवक के श्रम से उन्नति मिल गयी,पर उनका अहंवाद कहीं विकास में रोड़ा न अटकाए। आज पूरा मंत्रिमंडल मात्र प्रधानमंत्री कार्यालय से संचालित है, सब विभाग और मंत्री पुतला बने हैं,उनका कोई काम नहीं। इससे तो अहम की ‘बू’ आ रही है,और पूरे कैबिनेट का श्रेय खुद लेते हैं।
मोदी जी आजकल सब बातें बहुत जोर-शोर से करते हैं जैसे पाकिस्तान या विदेशों से सम्बन्ध। इसमें कोई शक नहीं कि भारत की प्रतिष्ठा बहुत बढ़ाई,पर उससे बेरोजगारी,किसानों की आत्महत्या कितनी कम हुई! स्वयं उन्होंने स्वीकारा कि शिक्षा का स्तर नहीं सुधारा गया। इससे यह अर्थ निकला कि २०१४ से २०१९ के बीच शिक्षा का बंटाधार हुआ,स्वास्थ्य सेवाएं निजी क्षेत्रों में आ गयी।
मोदी जी के राज में कितना भ्रष्टाचार कम हुआ,एक राफेल की खरीदी में पूरा हिसाब-किताब पूरा कर लिया,इस पर बात कोई बात नहीं करता। इस बात की लीपा-पोती हो गयी।
मोदी जी ने वास्तविक धरातल पर कुछ किया होता तो अब उनको इतनी मेहनत नहीं करना पढ़ती,पर झूठी शान की खातिर स्वप्रशंसा पर अधिक और निंदा में कम समय गुजारते तथा पद की गरिमा के अनुकूल भाषा निम्न स्तर की उपयोग करना उनके पदीय गरिमा के अनुकूल नहीं है,पर क्या करें,
संस्कार प्रबल होते हैं,जो आचरण में प्रगट हो जाते हैं। नोटबंदी ने ऐसी हालत कर दी है कि उसका प्रभाव आने वाले चुनावों पर बहुत पड़ेगा। विकास की योजनाएं क्या होगी,इसके लिए पांच वर्ष का समय फिर चाहिए। आखिर पांच साल में पिछली सरकार की खामियां ही गिनाते रहे,नेहरू-गाँधी को कोसते रहे। कुल मिलाकर नेहरू- गाँधी को पूरी तरह से नेस्तनाबूद करना पहला मकसद है जो नामुमकिन है। उनके योगदान के सामने मोदी जी का योगदान सूरज के सामने दिया दिखाना है। उन्होंने झूठ का सहारा नहीं लिया ,उन्होंने देश के लिए कुछ नहीं किया,बहुत घोटाले हुए और आपके पास पूरा कार्यकाल रहा,तब भी दोषियों को दंड नहीं दे पा रहे हैं,हलाकान जरूर किया। आप अपने- आपको गठबंधन विहीन मानते हैं,क्या यह सच है ? इस चुनाव में पसीना निकल जायेगा,वैसे गर्मी और ऊपर से कुछ असफलताएं जिससे निराशा मिलेगी। जीतना या हारना जनता के हाथ है,पर बहुत निराशा लगती है कि इतना सब-कुछ होने के बाद भी अज्ञात भय से ग्रसित हैं। संयमित भाषा और मेरी की जगह हमारी उपलब्धियां ज्यादा लाभकारी होंगी,क्योंकि मैं अहंवाद का परिचायक है। देश के संचालन में एक से काम नहीं बनता,यहाँ सामूहिक कार्य होता है।
समय देखो और तेल की धार देखो,अभी बहुत जल्दी विजय पताका हासिल करना बेमानी होगी,पर इस बार इतिहास की पुर्नावृत्ति न हो पायेगी।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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