कहलाते संकट हरण

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम…. नित सहाय बनते सदा, मेरे शिव नटराज।करते जो आराधना, उसके बनते काज॥ कहलाते संकट हरण, देवों के सरदार।सच्चे मन विश्वास से, देखो इन्हें पुकार॥ तन मन मैं अर्पण करूँ, सुन लो दीनदयाल।मिले कृपा शिव आपका, होऊँ मालामाल॥ मेरा मन शिव भक्ति में, लगा रहे अविराम।दूर कभी करना … Read more

राजनीति के दिव्यजन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* अटल बिहारी वाजपेयी जन्मदिन विशेष… अटल दिव्यता के धनी, किया दिलों पर राज।सदियों तक होगा हमें, महारत्न पर नाज॥ विनय भाव गहना रहा, प्रतिभा का संसार।भारत माँ के आँगना, फैलाया उजियार॥ राजनीति के दिव्यजन, देशभक्ति-आयाम।दमका लेकर दिव्यता, अटल बिहारी नाम॥ कवि बनकर साहित्य की, रक्खी हरदम लाज।कविता के सुर-ताल थे, वाणी … Read more

शिव हरते कष्ट तमाम

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम… जीवन में ख़ुशियाँ मिले, विनय करो स्वीकार।हे शिव भोला आपको, नमन करूँ शत् बार॥ सकल अमंगल दूर कर, शीघ्र बनाते काम।ऐसे भोलेनाथ को, शत्-शत् कोटि प्रणाम॥ सच्चे मन से भक्त जो, भजते हैं शिव नाम।ऐसे जन के शंभु शिव, हरते कष्ट तमाम॥ ध्याते जो शिव नाम को, … Read more

सुखद सुनहरी धूप

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* शुभ प्रभात सादर नमन, मंगलमय शुभकाम।सुनहर पूसी अरुणिमा, धूप सुखद अभिराम॥ नव पल्लव तरु वाटिका, विविध चारुतम रंग।महके खुशबू चहुँ धरा, लतिका सुभग लवंग॥ प्रमुदित प्राणी लोक में, नवप्रभात अरुणाभ।गूंजी चहुँ ध्वनि विहग गण, भोर धूप बहु लाभ॥ अतिरंजित नभ लालिमा, कुसुमाकर आलोक।तन-मन आनंदित मनुज, मिटे क्लेश हिय शोक॥ … Read more

दुविधा में है न्याय अब

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* असमंजस में न्याय फँस, राजनीति के व्यूह।बिके अदालत न्याय की, कहाँ बची अब रूह॥ राजनीति व्यामोह में, न्यायालय परिवेश।सत्य न्याय आश्रित कहाँ, दुविधा में जन देश॥ न्यायालय में न्याय अब, बस पैसों का खेल।दीन-हीन अन्याय बस, लूट घूस का मेल॥ आज अदालत तारिखें, पड़े अनेकों बार।धन वैभव सुख चैन … Read more

सभी सुखी चहुँमुख प्रगति

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मानव जीवन चिर प्रगति, ग्रन्थ सनातन वेद।ज्ञान कर्म परहित जगत, शान्ति प्रेम संवेद॥ जिम्मेदारी सभी की, जन भारत उत्थान।प्रगतिशील आगम समय, नवयौवन संज्ञान॥ परमारथ पौरुष सबल, बने प्रगति वरदान।नीति प्रीति सच न्याय पथ, वही मनुज इंसान॥ लोभ मोह मद कोप छल, घृणा द्वेष हैवान।बाधक बनते नित प्रगति, दानवीय शैतान॥ … Read more

किसान- भारत श्रेष्ठ महान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* भाद्र मास बारिश गहन, भरे खेत खलिहान।उपवन कानन जल भरे, पोखर नदी ढलान॥ खेतों में जब जले भरे, प्रमुदित हृदय किसान।लाये पौधा धान का, रोपे पौधे धान॥ हर्षित मन लखि खेत को, फ़सलें हरित किसान।अति बरसाती बाढ़ से, बहे पौध सब धान॥ बारिश नदी उड़ान पर, जलप्लावन चहुँ देश।लावारिस … Read more

शरदाकुल कुहरा प्रलय

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************** शरदाकुल कुहरा प्रलय, अगहन पूस बसात।सिहराती तनु अस्थियाँ, कौन सुने ज़ज्बात॥ विषम शीत कुहरा गहन, कहाँ वस्त्र तनु दीन।आजादी हीरक बरस, दीन गेह श्री हीन॥ शीताकुल ठिठुरन विषम, तुषार शीत अपार।घन कुहरा में वसन बिन, दीन हीन लाचार॥ ठिठुर रही जीवन दशा, धनी- दीन में भेद।कहाँ मूल समता वतन, … Read more

तुम जीवन रस मधुमिता

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* तुम जीवन रस मधुमिता, तुम अभिनव श्रंगार।तुम नवरस की अल्पना, तुम जीवन उपहार॥ वासन्तिक मधुमालती, मधुरिम सुरभि मिठास।खिली-खिली नव सरसिजा, अरुणिम अधर सुहास॥ मैं मादक मधुपर्क मन, ललित लसित अनुराग।तुम लतिका तन्वी प्रिये, तुम सजनी दिलबाग॥ गूंजी तन-मन चिन्तना, मधुरभाष गुञ्जार।अनुरंजित नवयौवना, मधुरिम प्रीति बहार॥ सावन संध्या खुशनुमा, मन्द- … Read more

दाँव सभी का एक

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* दाँव सभी का एक है, बस सत्ता सुख भोग।राजनीति के व्यूह में, फँसते बिन सहयोग॥ दाँव सभी का एक है, दे दूसरों को घाव।नीति न्याय अन्याय में, मिले साथ दुर्भाव॥ दाँव सभी का एक सम, बस धोखा सद्मीत।लोभ मोह हिंसा घृणा, आत्म- प्रशंसा गीत॥ कार्य सिद्धि बस चाह मन, … Read more