भोजन

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* सात्विक भोजन कीजिए, मन हो सदा प्रसन्न।चित्त सदा ऐसा रहे, जैसा खाओ अन्न॥ भोजन मन से ही करें, बढ़े भोज का स्वाद।तन मन दोनों स्वस्थ हों, रहे नहीं अवसाद॥ चबा-चबा कर खाइए, भोजन का ले स्वाद।तभी भोज तन को लगे, होय नहीं बर्बाद॥ भोजन उतना लीजिए, जिससे भरता पेट।झूठा अन्न न … Read more

करना तुम सहयोग

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* योग शुरू यदि कर दिया, अब करना कम भोग।योग गुरू का हर समय, लेना तुम सही योग॥ तन-मन सारा शुद्ध कर, करता योग निरोग।सेहत की चाहत अगर, हर दिन करिये योग॥ धर्म-कर्म का हर घड़ी, रख कर चल संयोग।बीत चुके कल का नहीं, कभी मनाना सोग॥ भले आदमी का … Read more

दमके नित सिन्दूर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* नारी हर पल चाहती,खिलता रहे सुहाग।सात वचन के संग में,खेले नित अनुराग॥ यही कामना माँग में,दमके नित सिन्दूर।वैवाहिक जीवन रखे,सदा दिव्यता,नूर॥ अग्निदेव को पूजकर,माँगा था वरदान।खुशियों से पूरित रहें,हे ! भगवन् अरमान॥ रहे हर्ष,गतिशीलता,हो नित ही उत्कर्ष।छूटेे किंचित भी नहीं,बीतें चाहें वर्ष॥ नारी की खुशियाँ तभी,जब तक संग सुहाग।सात वचन … Read more

दीमक-सा व्यवहार

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* दीमक कहता आपसे, मेरा यह व्यवहार।हममें भी है एकता, खंडित सह आधार॥ बड़ा संगठन साथ में, करते मिल-जुल काम।बुनियादों को तोड़ते, है विनाश निज धाम॥ मनुज करे व्यवहार जो, वह है आज समान।बिना लक्ष्य को साधकर, कार्य करें इंसान॥ आज दीमकों की तरह, मनुज कार्य में लीन।ध्येय सत्य पथ का नहीं, … Read more

है चुनरी में आन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* नारी के श्रंगार सँग,चुनरी सोहे ख़ूब।है लज्जा,सुर-ताल-लय,सामाजिकता-दूब॥ रहता चुनरी में सदा,शील और निज आन।चुनरी में बसते सतत्,अनजाने अरमान॥ चुनरी में गरिमा निहित,मर्यादा का रूप।जिससे मिलती सभ्यता,को इक नेहिल धूप॥ चुनरी तो वरदान है,चुनरी तो अभिमान।चुनरी नारी-शान है,चुनरी है इक गान॥ चुनरी तो बलवान है,चुनरी तो उत्थान।चुनरी तो इक आस है,चुनरी … Read more

मोबाइल से नुकसान

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* घटता मेल-मिलाप है, यह कैसा है दौर।मोबाइल नुकसान दे, कोई करे न गौर॥ दूरदृष्टि पर आज ये, डाले बहुत प्रभाव।वर्तमान में छूटता, सबसे नित्य लगाव॥ बच्चे अपने जिद से, करते हैं परेशान।समयानुसार सब चलें, ऐसा देवें ज्ञान॥ मोबाइल से हानि है, होवे कम उपयोग।सेहत सुंदर चाहिए, करें नित्य ही योग॥ नित्य … Read more

बचपन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* बचपन की यादें सुखद,दें मीठे अहसास।बचपन के दिन थे भले,थे बेहद ही ख़ास॥ दोस्त-यार सब थे भले,जिनकी अब तक याद।कुछ ऊँचे अफ़सर बने,वे अब भी आबाद॥ कुछ पढ़ने में तेज थे,कुछ बेहद कमज़ोर।शिक्षक थे सच्चे गुरू,रखा काम पर ज़ोर॥ शाला प्यारी थी बहुत,सुंदर थे सब कक्ष।मेरी शाला भव्य थी,नालंदा-समकक्ष॥ दिन … Read more

धीमा ज़हर, ले मुँह मोड़

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* तम्बाकू धीमा ज़हर,इससे ले मुँह मोड़।तम्बाकू सेवन नहीं,इसको दे तू छोड़॥ तम्बाकू को जान ले,लाती ढेरों रोग।फिर भी सेवन कर रहे,देखो मूरख लोग॥तम्बाकू से चेतना,होती है नित लुप्त।समझ-सोच की बुद्धि भी,हो जाती है सुप्त॥ और नहीं अब बंधुवर,नहीं नशे की होड़।तम्बाकू सेवन नहीं,इसको दे तू छोड़…॥ तम्बाकू लेती यहाँ,सतत् अनेकों … Read more

धरती माँ करुणामयी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* हरित हो वसुंधरा…. जीवन भर गाते सभी,वसुधा के तो गीत।हरियाली को रोपकर,बन जाएँ सद् मीत॥ हरियाली से सब सुखद,हो जीवन अभिराम।पेड़ों से साँसें मिलें,विकसित नव आयाम॥ धरती माता पालती,संतति हमको जान।धरती माता के लिए,बेहद है सम्मान॥ अवनि लुटाती नेह नित,करुणा का प्रतिरूप।इसकी पावन गोद में,सूरज जैसी धूप॥ वसुधा का संसार … Read more

नीर से साँसें

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* जल ही कल…. नीर लिए आशा सदा, नीर लिए विश्वास।नीर से साँसें चल रही, देवों का आभास॥ अमृत जैसा है सदा, कहते जिसको नीर।एक बूँद भी कम मिले, तो बढ़ जाती पीर॥ नीर बिना जीवन नहीं, अकुला जाता जीव।नीर फसल औ’ अन्न है, नीर ‘शरद’ आजीव॥ नीर खुशी है,चैन है, … Read more