प्रेमातुर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* प्रेम मधुर अहसास है,प्रेम प्रखर विश्वास।प्रेम मधुर इक भावना,प्रेम लबों पर हास॥ प्रेम हृदय की चेतना,प्रेम लगे आलोक।प्रेम रचे नित हर्ष को,बना प्रेम से लोक॥ प्रेम राधिका-कृष्ण है,राँझा है,अरु हीर।प्रेम मिलन है,प्रीति है,प्रेम हरे सब पीर॥ प्रेम गीत,लय,ताल है,प्रेम सदा अनुराग।प्रेम नहीं हो एक का,प्रेम सदा सहभाग॥ खिली धूप है … Read more

प्रकृति बहुत नेहिल

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* प्रकृति बहुत नेहिल लगे,लगती नित अभिराम।सब कुछ नियमित हो रहा,सृष्टि-चक्र अविराम॥ सुंदर यह वसुधा लगे,आकर्षक आकाश।जी भर देखो जो इसे,तो हर ग़म का नाश॥ सुंदर हैं नदियाँ सभी,भाता पर्वतराज।वन-उपवन मोहित करें,दिल खुश होता आज॥ हरियाली है सुख लिए,गाती मंगलगान।प्रकृति सदा ही कर रही,शिल्पी का यशगान॥ खेतों में धन-धान्य है,लगते मस्त … Read more

प्यार- मुहब्बत से रहो

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* देश हमारा एक है,जिसका भारत नाम।प्यार मुहब्बत से रहो,नफरत का क्या काम॥ आरोहण के कष्ट को,नहीं जानते लोग।देख-देख ऊँचाइयाँ,पालें कुण्ठा रोग॥ डर ही तो है आपका,कुछ का कारोबार।दुनिया यारों हो गयी,एक बड़ा बाज़ार॥ राजनीति की फिर नहीं,पकड़ो हरगिज़ लीक।कानों का गर हाजमा،नहीं तुम्हारा ठीक॥ उल्टा-सीधा कर रहे,कहते उसको काम।उल्टे-सीधे … Read more

होरियारे

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )… मचा रहा है चार सू,मौसम आज धमाल।बाबा भी रख कर चलें,अब तो लाल रुमाल॥ सूरत सब की दिख रही,नीली पीली लाल।मस्ती का ऐसा बुना,होली ने संजाल॥ फूले-फूले हैं नहीं,आज किसी के गाल।वो भी हँसते दिख रहे,जिनकी मोटी खाल॥ कल तक थी खामोश-सी,आज हुई … Read more

झूम उठे है आसमां

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************* रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )… देखो मस्त बसन्त है,खुशहाली चहुँओर।फागुन फगुवा रंग में,मचा हुआ है शोर॥ झूम उठे है आसमां,धरती भीगी जाय।होली देख उमंग में,प्रेम रंग बरसाय॥ नर-नारी बेसुध हुए,मन में छाय उमंग।शीतल चले बयार हैं,कामदेव भी संग॥ रंग भरे मौसम यहाँ,फागुन की सौगात।पीली सरसों ज्यों कनक,टेसू की क्या … Read more

ताजमहल-भारत का गर्व

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* अमर मुहब्बत की कथा,है भावों का नूर।शाहजहाँ ने रच दिया,ताजमहल भरपूर॥ बेग़म पर सब वारकर,दिया सुखद उपहार।शाहजहाँ ने कर दिया,रोशन यह संसार॥ थी बेग़म दिल के निकट,शाहजहाँ का ताज।इतिहासों में है अमर,कहलाती मुमताज॥ दुनिया में जानी गई,संगमरमरी आभ।ताजमहल तो बन गया,बेहद ही अमिताभ॥ शहर आगरा भा रहा,करे पर्यटन ख़ूब।हर इक … Read more

नारी हो सहधर्मिणी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** पढ़ी-लिखी ये नारियाँ,मानस बदल विचार।नर नारी सम भूमिका,चलता है परिवार॥ नारी के सम्मान में,देव खुदा का वास।मरघट है नारी बिना,गृहलक्ष्मी आवास॥ अम्ब सखी बन जिंदगी,जनक वंश अभिमान।बहन भातृ की रक्षिणी,नर जीवन सम्मान॥ भारत की है संविधां,दे समान अधिकार।सोच गुलामी नर यहाँ,नारी पर है भार॥ कवि ‘निकुंज’ जीवन ऋणी,मातु स्नेह … Read more

मत करो ज़रा घमण्ड

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* दौलत पाकर मत करो,दिल में ज़रा घमण्ड।दण्ड मिले उसको सदा,जो होता उद्दण्ड॥ कहते हों गद्दार को,जिस जगह देशभक्त।हरगिज़ हो सकता नहीं,ऐसा देश सशक्त॥ साहिल वाला आदमी,मोती कभी न पाय।मोती की गर चाह है,उतरे गहरे जाय॥ नफ़रत-नफ़रत खेलते,नफ़रत कारोबार।नहीं मुहब्बत जानते,जो बिन घर परिवार॥ हर दिन खराब हो रहे, दुनिया … Read more

शिव शंकर अनुभूति मन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** शिवरात्रि विशेष…. सोमनाथ सौराष्ट्र में,करुणाकर अवतार।चारु चन्द्र धर शिखर शिव,गंगाधर संसार॥ उच्च शिखर श्रीशैल पर,प्रमुदित देव निवास।पूज्य मल्लिकार्जुन सदा,बाघम्बर कैलास॥ अकाल मृत्यु रक्षक प्रभु,मोक्ष प्रदाता सन्त।महाकाल उज्जैन में,महिमा नमन अनंत॥ कावेरी नर्मद मिलन,पावन निर्मल धार।करुणाकर ओंकार जग,भवसागर हो पार॥ चिताभूमि पूर्वोत्तरी,सदा वास गिरिजेश।देवासुर पूजित सदा,बैद्यनाथ परमेश॥ नागेश्वर गलहार शिव,दक्षिण … Read more

काशी नगरी पावन

जबरा राम कंडाराजालौर (राजस्थान)**************************** धर्म धरा चर्चित जगत,पावन गंगा घाट।लगता मेला कुंभ का,लगे संतजन थाट॥ नया नाम वाराणसी,काशी है प्राचीन।रामचरित तुलसी रचा,बैठे इसी जमीन॥ संत कबीर जहां भये,ज्ञान भक्तिरस धार।ओर भये रविदास जी,जग में हुआ प्रचार॥ तैतीस कोटि देवता,करते यहाँ निवास।रैन-दिवस होते हवन,चलते बारहमास॥ फैला पूरे विश्व में,जगमग ज्ञान प्रकाश।भारत जैसा देश नहिं,कर लो खूब … Read more