प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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खड़े भवन जो आज भी,कहते वे इतिहास।
कला-विरासत को लिए,देते सुख-अहसास॥
दिखती जिनमें श्रेष्ठता,होता गौरव-बोध।
ढूँढ़-ढूँढ़कर कर रहे,पढ़ने वाले शोध॥
कहीं महल,तो दुर्ग हैं,मंदिर-मस्जिद रूप।
खंडहरों में हैं छिपी,बीते युग की धूप॥
नालंदा की भव्यता,संस्कार का नूर।
विश्वगुरू हम थे प्रखर,विद्या से भरपूर॥
कितना स्वर्णिम था कभी,जानें आप,अतीत।
उसने यश,गौरव रचा,गया ‘शरद’ जो बीत॥
खंडहरों में शान है,खंडहरों में मान।
हर कोई क्यों ना करे,अपनों का गुणगान॥
पूरब-पश्चिम में चमक,उत्तर में सम्मान।
दक्षिण में है बंदगी,निज अतीत की आन॥
सकल विश्व के पर्यटक,आते करने दर्श।
देख हमारी सभ्यता,सारे करते हर्ष॥
महल-दुर्ग की जय सदा,कहें बहुत,बिन बोल।
रक्षित स्थापत्य हो,सचमुच वह अनमोल॥
ताजमहल,मीनार है,खजुराहो का मान।
कालिंजर,साँची सुखद,राजस्थानी शान॥
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।