माँ के लाड़ले

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* शिक्षा पाने घर से बहुत दूर रहते हैं,माँ के लाड़ले कितने प्रेशर में जीते हैं‘मम्मी-मम्मी’ कह पीछे घूमने वाले,कई बार खाली पेट दिन गुज़ार देते हैं। कपड़े, उठाना, धरना सीखते हैं,सारी व्यवस्था खुद ही देखते हैंकभी धोबी से, कभी बाई से उलझ,धीरे-धीरे गृहस्थी सजाना सीखते हैं। पढ़ाई के बाद जॉब के … Read more

भज मन रघुवर

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** भज मन रघुवर, भज मन सिय वर,भज त्रिभुवन पति, बुजदिल मनवा। कण-कण हरि-हरि, बिन सदगुरु पथ,सुमिरन पल हरि, रट-रट रसना। तिमिर गहन प्रभु, विनय सहित प्रभु,अनुनय कर हम, हरि शरण पड़े। अनगिनत विचित्र, हिय बिन सुमिरन,मनुज बिन भजन, पल-पल फिसले। सरवर बिन जल, रघुवर बिन मन,असहज सहृदय, अवसर सुध लें। … Read more

खोज रहा है सारथ राहें

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* एक अकेला चला सत्यपथ, कार्य प्रकाशित दुनिया सारे,खोज रहा है सारथ राहें, हाथ जोड़ते जैसे हारेक्यों खोता है धीरज-साहस, रख यकीन खुद पर तू प्यारे,होता अध्वर्यु बनो स्वयम्, हो यज्ञ सफल श्रम मंत्र सहारे। रहो मौन रथ सार्थ पार्थ सम, बढ़ो सत्य पथ बिना सहारे,कौन साथ है साथ नहीं … Read more

झूला फूलों वाला

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** झूला फूलों वाला,आज बनाया हैसबके मन भाया है। सज सखियाँ सब आयीं,कुछ गोपी-ग्वालेबन राधा मन भायीं। धानी पहने चुनरी,हरी-हरी चूड़ीसिंदूरी माँग भरी। सखी एक बनी कृष्णा,राधा झूल रहीकृष्ण मिटाएं तृष्णा। हरियाली तीज मना,हर्षित सब सखियाँकजरी के गीत सुना॥

तुम आए सावन की तरह

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* तुम आएबारिश की बूँदों की तरह,तुम छाएअम्बर पर काले बादल की तरह। तुम चमकेतेज़ दामिनी की तरह,तुम गाएरिमझिम फुहारों की तरह। तुम छलकेबहती तरंगिणी की तरह,तुम बरसेघनघोर मेघों की तरह। तुम लाए,खुशहाली हरियाली की तरह।तुम आए,मेरे जीवन में सावन की तरह॥ परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में … Read more

ज़िंदगी तेरे रंग हजार

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** ज़िंदगी तेरे रंग हजार, आँखों में पानी मुख हँसी हजार,कभी दुखी मन तो कभी क्षणिक सुख मन में आए हजार…। हरियाली सावन-भादों के बादल लाए संजीवनी हजार,गर्मी के अहसास लिए पतझड़ करते देखो पेड़ हजार…। गमों की रात और दिन में हौसला बांधे खड़े पेड़ हजार,धीरज इनसे सीखो जीवन में … Read more

मिलते नहीं श्रवण कुमार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* आज पूत मिलते नहीं, जैसे श्रवण कुमार।संस्कारों से पूर्ण जो, देवों के अवतार॥ मात-पिता की वंदना, सेवा का अति रूप।सूरज जैसी दिव्यता, लिए प्रखरता धूप॥ काँवर में बैठा लिया, मात-पिता को लाल।देख श्रवण का रूप यह, हर युग हुआ निहाल॥ मात-पिता का भक्त था, पूतों का था पूत।जनक और जननी लिए, … Read more

बिन पेंदी के लोटे

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ आज-कल बहुत से लोग ऐसे ही होते हैं,वह, जहां मलाई देखते हैंवहीं, उसके इर्द-गिर्द नजर आते हैं,वह सही में बिन पेंदी के लोटे हैं। कभी सत्ता सुख, कभी कुर्सी का मोह,लगे हुए हैं अपनी जेब भरने मेंक्योंकि यही है उनका असली सुख,वह सही में बिन पेंदी के लोटे हैं। धन-धन … Read more

खुद गाँठ लगाई

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* कर रहे हम अपनी,नादानियों की भरपाई हैं।सुख की गठरी में अपनी,हमने खुद गाँठ लगाई है॥ गिले-शिकवे का दौर है,मन में पलती रंजिशेंजज़्बातों को दरकिनार कर,बस दुनियादारी निभाई है।सुख की गठरी में अपनी,हमने खुद गाँठ लगाई है…॥ क्या करें धन दौलत का,जब अपने ही अपने साथ नहींऊँच-नीच की दीवारें,हमने खुद ही उठाई हैं।सुख … Read more

ॐ की महिमा

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* ‘अ उ म’ से मिलकर बनता, ओम शब्द ये सबका प्यारा है।हम सब इसको मिलकर जपते, ‘ॐ’ शब्द ये न्यारा है॥ परम सत्य का है प्रतीक, सृष्टि का पालन संहार करें।गलत कार्य यदि करते हैं हम, पापों का यह भार हरे।।शक्ति है अपार ओम में, यह आकाशी तारा है,अ उ … Read more