‘नशा’ नाश की जड़
ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* नशा नाश की जड़ है भाई,मत जाना इसके पास,घर-परिवार में दुःख बांटे,करे सबको उदास। बीड़ी-गुटका-तम्बाकू है,बीमारी का वास,छोड़ दें हर नशे को वरना,होगा तेरा नाश। तेरा नहीं कोई अपना होगा,ना होगी कोई आस,दर-दर भटकेगा जीवनभर,बन जाएगा दास। जीते-जी तू मर जाएगा,बन के जिंदा लाश,जो तू करेगा नशा सोच ले,मुश्किल होगी लेनी श्वाँस। … Read more