नहीं पहचाना न…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************* तुम मुझे ढूंढते रहे,यहाँ-वहाँ न जाने कहाँ-कहाँ…नहीं पहचाना न…मैं नारी हूँ। मैं तुम्हारे पास ही रही,थकान में आराम बन कर…बेरोजगारी में काम बनकर,रोग में औषधि बन। दु:ख-सहरा…