तू दंडकारिणी, स्वयं नारायणी

पी.यादव ‘ओज’झारसुगुड़ा (ओडिशा)********************************************** नारी से नारायणी (महिला दिवस विशेष)... धधक उठी है हृदय में ज्वाला,रूप लिए वो अति विकरालापौरूषता आज बेबस पड़ी है,निकल पड़ी है निर्भया बाला। धरती उसकी, अम्बर…

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महकाती आँगन

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** नारी से नारायणी (महिला दिवस विशेष).... संसार 'नारी',महकाती आँगनहै अनुपम। 'नारी' से जग,हर ख़ुशी त्योहारघर श्रृंगार। 'नारी' ममता,नारायणी है नारीहै समर्पण। 'नारी' रूप माँ,बहन-सुता-वधूमूर्त निःस्वार्थ। 'नारी'…

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नारी हूँ, संघर्ष करती हूँ

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ नारी से नारायणी (महिला दिवस विशेष)... सदियों से पूज्य रही हूँ,कन्या रूपेण मातृ रूपेणसीता भी मैं हूँ राधा भी मैं हूँ,द्रौपदी और गांधारी भी मैं हूँ। मैं…

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नारी से संसार

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** नारी से नारायणी (महिला दिवस विशेष)... नारी महकती बगिया आँगन,नारी से है व्रत त्योहारनारी मस्तक का ताज श्रृंगार,नारी रहित बेरंग संसारक्योंकि नारी है नारायणी…। नारी…

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ओ नारी, बन जा बेदाग अनुकृति

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* नारी से नारायणी (महिला दिवस विशेष)... ईश्वर प्रदत्त कोमल काया थी,स्वर्ण रूपी अनमोल माया थीसहारा कांधे का पाकर स्त्रियाँ,छत्रछाया में पुरुष की महफूज़ थी। ममता की…

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वक़्त के साथ तत्पर

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** नारी से नारायणी (महिला दिवस विशेष).... कौन-सी गाथा तेरी छोडूं,मैं कौन-सी गाथा गाऊँसब बढ़कर एक से एक,है नारी तेरे रूप अनेक। कैसे भूलूँ भरी सभा में,केश पकड़…

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नया सवेरा लाएँ

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** भेदभाव के अंधेरे मिटाएँ,नया उजाला हम लाएँजाति-धर्म के बंधन तोड़ें,हर दिल में प्रेम ही जगाएँ। न हो रंग का कोई फरक,हो हर चेहरे में चाँद-सी चमकअमीरी-गरीबी…

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संग ले जाने को कुछ भी नहीं

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* किसकी चिन्ता में खोया मन संग ले जाने को कुछ भी नहीं,नाशवान भौतिक सुख साधन,संग ले जाने को कुछ भी नहीं। मानव तन दिया…

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धुआँ-धुआँ-सी नारी ज़िन्दगी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सिहर उठता हूँ नारी-उत्पीड़न देखकर,दहल उठता हूँ नारी प्रति शोषण देखकरकहीं दहेज है, कहीं घरेलू हिंसा हैकहीं बलात्कार है,धुँआ-धुँआ-सी नारी ज़िन्दगी। कहीं जघन्यता के समाचार हैं,कहीं…

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अब आ भी जाओ…

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** बयारें चल गयी है देखो सुगंधी बसंती,मन में अजीब-सी हुक उठी है बसंतीयादों के काफिले चले हैं सुगंधी- सुगंधी,अब आ भी जाओ प्रिय ऋत आई बसंती।…

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