किराए का घर
हिमांशु हाड़गेबालाघाट (मध्यप्रदेश)**************************************** अंतिम कविता किराए के घर से,किराए का मकान सिर्फ मकान नहीं थाघर था, जहां बसी बहुत सी यादें,यादों के समंदर में खो जाने का मनकमरों से बहुत-सी गुम हुई चीजें मिलने की खुशी। कुछ चीजें खो गईं, कुछ मिल गईं,यादों में बसा, वो शयन कक्ष जहां…दिनभर की थकान को रात्रि के समय,मस्त … Read more