काम करो, कुछ काम करो

हिमांशु हाड़गेबालाघाट (मध्यप्रदेश)**************************************** काम करो कुछ, काम करो,आराम नाम की नींद कोअब हराम करो,उठो युवाओं, जागकर कुछ काम करो। बीत रहा था जीवन तेरा,अंधियारों की घाटी मेंअब जागकर होश में आओ,काम करो, कुछ काम करो। सपने पूरे हों बड़े-बड़े,गाड़ी-बंगला-कारों केसमय भी तेरा साथ देगा,जब निकल पड़ेगा राहों पेकाम करो, कुछ काम करो। कठिनाई तेरे जीवन … Read more

पारिजात… महका-महका समां

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* भली भोर में रिमझिम-रिमझिम लगा फूलों का झरना है,भीनी-भीनी खुशबुओं की कहाँ से उमड़ रही अभिसारना हैकितना सुन्दर और मनभावन, अनवरत फूलों का झरना हैरात चाँदनी और सिंदूरी संध्या, मिलकर दोनों ने दिया धरना है। घनी-घनी सी हरियाली बीच से फूल एक-एक उतर रहा है,जैसे ताराँगन आसमान का पंख लगाकर हौले … Read more

आज रिश्तों में प्रेम कहाँ

धर्मेंद्र शर्मा उपाध्यायसिरमौर (हिमाचल प्रदेश)******************************************************* कहाँ गया रिश्तों से प्रेम… चकाचौंध दुनिया ने सबको,हे आज कैसा भरमायाकोई किसी का नहीं यहाँ,सब है स्वार्थ और छलावा। सब अपनों तक सीमित रहते,नहीं रिश्तों का किसी को ध्यानओझल हो रही अपनी संस्कृति,बन रहे आज सभी विद्वान। पिता-पुत्र को जीना सिखाए,माता-पुत्री को देती सीखदादा-दादी की प्यारी कहानी,सुनकर सबको करती … Read more

बुरी दुनिया… अच्छी दुनिया

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* … जो खो गए हैं,वो सत्य को नहीं जानतेन कारण जानते,न प्रभाव जानतेन अपना लाभ जानते,न दूसरों का लाभ जानतेयदि वो खुद को भी नहीं जानते,तो वो पहले से ही खो चुके हैं। वो बचपन से ही भटके हुए हैं,गलत रास्ते पर जा चुके हैंबुरी चीजों के प्रति आसक्त होना,नशीले पदार्थों … Read more

विभाजन ने पक्के घर को तोड़ दिया

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** किसी गलतफहमी के कारण अपनों ने ही छोड़ दिया,थे इतने सम्बन्ध मधुर, जाने क्यों नाता तोड़ दिया ?घर बेशक छोटा था, लेकिन सबके दिल में बहुत जगह थी,गलतफहमियों की न जाने फिर ऐसी कौन-सी वजह थी ? सब भाइयों का विवाह हो गया, सबका ही परिवार बढ़ गया,जितना अधिक परिवार बढ़ा, उतना … Read more

अति वर्षा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* हो रही आज बहुत ही वर्षा, दया न खाते बेदर्द बादल।नदियाँ-नाले उफन रहे हैं, बस्ती का मन अति घायल॥ गर्मी बीती आई वर्षा, आतंकी परिवेश है।नीर-नीर ही चहूँओर है, बढ़ता जाता क्लेश है॥आसमान से दर्द बरसता, मेघों ने मातम ढाया।गलियों-सड़कों पर पानी है, मानव तो अब घबराया॥वरुणदेव लगते हैं क्रोधित, लगा … Read more

स्वार्थ का पर्दा ऐसा फैला…

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* कहाँ गया रिश्तों से प्रेम… स्वार्थ का पर्दा ऐसा फैला  भूला रिश्तों की कुशलक्षेम,मूर्ख ताकते हमने ढूंढा कहाँ गया रिश्तों से प्रेम। संयुक्त परिवार अब नहीं मिलते एकसाथ अब भाई नहीं पलते, कहाँ खोया बचपन का प्रेम क्यों नहीं सब आपस में खिलते।  एक थाल में खा लेते थे एकसाथ सब पढ़ लेते थे,मिल-जुल कर जाने कितने … Read more

गुरु गुरुता आलोक से

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* गुरु गुरुता आलोक से, आलोकित संसार।सदाचार पौरुष सबल, गुरु संगति उपहार॥ सजा मंच है ज़िंदगी, मानव अभिनय पात्र।सुख-दु:ख गम खुशियाँ जख़म, सहते हैं बस गात्र॥ महिमामंडन गुरुचरण, कठिन समझ संसार।प्रेम भक्ति मन समर्पित, गुरुवर ज्ञान उदार॥ गुरुवर पूर्णिम सावनी, शत-शत बार प्रणाम।देवों से भी श्रेष्ठतर, गुरु अखंड अभिराम॥ गुरु … Read more

शिव की लौ लगा ले रे…

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************** शिव का नाम मीठा लागेगा, लौ लगा ले रे।सुख-दुःख हैं चार दिन ये मन बसा ले रे॥ बार-बार जग नाते बदलें-बदलें प्रेम कहानी,भक्ति बिन जीवन बेमानी मौत है आनी-जानी।शिव प्रेमी हैं सच्चे हितैषी खुद को रटा ले रे,सुख-दुःख हैं चार दिन ये मन बसा ले रे…॥ नाम ही भक्तों … Read more

मेरा देश आगे बढ़ रहा…

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** मेरा देश आगे बढ़ रहा है-तरक्की रफ्तार चढ़ रहा है,शहर तक गाँव बढ़ रहा हैबाजार का भाव चढ़ रहा है। मेरा देश आगे बढ़ रहा है-पुलिया पर पुल चढ़ रहा है,सड़कों का चौड़ापन बढ़ रहा हैराष्ट्रीय मार्ग रोज लंबाई गढ़ रहा है।मेरा देश आगे बढ़ रहा है-रेल का विस्तार बढ़ … Read more