क्यों ?
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** क्यों डराते हो अँधेरे को अँधेरे के लिए,उन्हें पता ये है चिराग़ रोशनी के लिए। नहीं रुकता है सुनो काम किसी के लिए,चलते रहना ही है ज़रूरी…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** क्यों डराते हो अँधेरे को अँधेरे के लिए,उन्हें पता ये है चिराग़ रोशनी के लिए। नहीं रुकता है सुनो काम किसी के लिए,चलते रहना ही है ज़रूरी…
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** आम-सा था वो,पर था बड़ा खास…उससे मिलना हुआ ऐसे,सावन बरसे अचानक जैसे…। उसकी सादगी, अपनापन,भूलता नहीं आज भी मन…ऐसे ही ताड़ते रहे उसे,कोई अपना हो जैसे।…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* अनुपम अद्भुत चित्रकार जो, ब्रह्माण्ड जगत निर्माता है,शैलेन्द्र नदियों से सज्जित, सागर लहरें रच जाता है।लरज़ हरि लीला दुनिया, काल त्रिविध शक्ति दिखलाते-हरियाली सुष्मित…
कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* यूँ ही गुजर जाती है रात,सुबह होने के इंतजार मेंपता ही न चलता बीत जाती है रात,अक्सर सुबह होने के इंतजार में। उलझनें बहुत है ज़िंदगी…
डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** परिभाषा देखो बदल रही,अब तो अपने समाज कीकैसे लाज बचेगी सोंचो!अपने घर और परिवार की। पढ़े-लिखे आगे बढ़ें बेटियाँ,इसमें तो कोई बुराई नहींआजादी अच्छी है लेकिन,उच्श्रृंखलता अच्छी…
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** 'विश्व शांति और समझ दिवस' (२३ फरवरी) विशेष.... 'समझ',विश्व मेंजले शांति दीप,उमंग रहे,अनुराग। 'शांति',निरंतर रहेप्रेम गंगा बहे,मिटे नफरतअँधेरा। 'समझ',प्रेम, अहिंसादया की किरण,दिशा लहराए।सत्य। 'शांति',सत्य गूँजेफैले भली…
भागचंद ठाकुरकुल्लू (हिमाचल प्रदेश)******************************************** प्रथम यज्ञ भूखंड धरा पर आर्य का आगाज है,है पावन संगम की धरती यह प्रयागराज है। कण-कण में भगवान बसे पग-पग स्वर्ग से धाम यहाँ,गंगा, यमुना,…
डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** जीत कर अनगिनत लड़ाइयाँ,सत्ता के सिंहासन तक पहुँचातो देखा-रत्न-जड़ित ख़ंजर,सत्ताधीशों की अर्चना में आलोकितअंगीकार किए कई रक्त-रेखाएँ,मानो वह कोई शिल्प होजो इतिहास की छैनी से…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** जंगल सजे,जैसे टेसू ने किया श्रृंगारआम के फूल महके,जैसे जंगल के द्वारकोयल कूकी ऐसे,जैसे बज रही शहनाईजंगल द्वार,लगने लगा जैसेछाई हो जमके वसंत बहार। ताड़ी के पेड़…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ शीतल सुखद समीरण, शुभ माघ की बेला।पावन प्रयागराज में है कुम्भ का मेला॥ प्रात: से गूँजती यहाँ, वेदों की ऋचाएं,दिन में सुनाई पड़तीं हैं, संतों की कथाएं।संध्या में…