इमली का स्वयंवर
संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* फलियाँ लुटा चुकी हताश इमलियों पर अब,उग आयी है नई कोंपलेंखुले बदन पर इमलियों ने ओढ़ लिए हैं,कोमल पत्तियों के शानदार घोंसलेफिर सज-धज गयी है इमलियाँ, जैसे सजती है रूपवती दुल्हनियाफिर निखर आयी सारी,जैसे सजती-संवरती हैंरूपमती नाजनीनियाँ। इमलियों के श्रृंगारित बदन पर अब तैर आई है नाजुक-नाजुक कलियाँ,इमलियों के तन-बदन पर … Read more