तुम कहीं… हम कहीं
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* रिमझिम बारिश,सौंधी खुशबूकाले बादल,कर दे पागल। बिजली चमके,दामिनी गरजेअंधेरी रातें,भय से काँपे। भीगे हम-तुम,नीले छतरी के नीचेउड़ जाएँ मन,इंद्रधनुषी सपने बुनकर। मेघा बरसे,मिलने को तरसेधरती और गगन,होकर मस्त मगन। बारिश में भीगे बचपन में,वर्षा में कागज़ की नाव चलाएंछपा-छप कूदे धूम मचाएँ,बरखा में घूमे जवानी में। साथ भीगें बारिश में,ये तो … Read more