तुम कहीं… हम कहीं

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* रिमझिम बारिश,सौंधी खुशबूकाले बादल,कर दे पागल। बिजली चमके,दामिनी गरजेअंधेरी रातें,भय से काँपे। भीगे हम-तुम,नीले छतरी के नीचेउड़ जाएँ मन,इंद्रधनुषी सपने बुनकर। मेघा बरसे,मिलने को तरसेधरती और गगन,होकर मस्त मगन। बारिश में भीगे बचपन में,वर्षा में कागज़ की नाव चलाएंछपा-छप कूदे धूम मचाएँ,बरखा में घूमे जवानी में। साथ भीगें बारिश में,ये तो … Read more

रूपांतरित हो गए हैं रिश्ते

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* कहाँ गया रिश्तों से प्रेम ?… दिन कितने सुहाने थेवो बचपन की छुट्टियाँ,नानी, दादी, मौसी, मामाके घर मज़े से कटते थे। घर की शादी में भीढेर सारे रिश्तेदार,पहले से ही आ जाया करते थेकाम में हाथ बंटाने के लिए। साथ-साथ धूम मचाया करते थेबच्चे, युवा, बुजुर्ग एकसाथ,गपशप के दौरान चाय-पकौड़ीका लुत्फ … Read more

मूल्यों को बढ़ावा देना

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* छल-कपट और ईर्ष्या-द्वेष,बड़ा विकराल है इनका वेश। सब-कुछ कर देता है नाश,नही रह जाता कुछ भी शेष। बचकर रहना हर अवगुण से,सदाचार को अपनाना। अगर किसी से गलती हो,थोड़ा क्षमादान दे जाना। प्रेम-भाव रिश्तों के पोषक,थोड़ा-सा बस झुक जाना। कभी रूठे को मना लेना,खुशियों के दीप जलाना। माता-पिता की सेवा में,जीवन अपना … Read more

छह साल की बच्ची हूँ…

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** मैं हूँ छह साल की बच्ची, बोलो क्या है दोष।बलात्कार को झेल रही हूँ, मुझ पर क्यों है रोष॥ नटखट मेरी सोच जान लें, कुटिल पाप हुए सोच।खेल रहीं मैं नि:स्वार्थ भाव से, फिर भी रहे है नोंच॥ क्या तन मेरा नारी जैसा, क्या तन पर धरा विकास।रिश्ते संग बहलाकर मुझको, … Read more

सम्मान वहाँ नहीं

पी.यादव ‘ओज’झारसुगुड़ा (ओडिशा)********************************************** जीवन में सदा ‘सम्मान’ कभी क्या,कर्म की गति को कभी तार पाता है ?हर कर्म का होता है हिसाब बराबर,कर्म साथ-साथ ही सदा संग जाता है। खाली हाथ, कौन आया इस जग में ?गठरी पूर्वजन्म की संग-संग लाता हैईर्ष्या, द्वेष, अपमान, सम्मान सूद संग,संग-संग वह अपने साथ ले जाता है। सम्मान वहाँ … Read more

सब हों कुशल

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** सब हों कुशल सब स्वस्थ हों,सबका प्रभु कल्याण होसबका करो तुम हित प्रभु,सिर पर तुम्हारा हाथ हो। भूले हैं जो निज मार्ग को,समझें वे अपने सत्व कोगरिमा है जिसमें देश की,समझें वे इसके तत्व को। क्यों हो रहा संहार इतना,क्यों यहाँ संताप है ?क्यों है नहीं कहीं शान्ति,प्रभुवर क्यों मचा उत्पात है … Read more

अनुभव से जो सीखते

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* अनुभव से जो सीखते, कभी न खाते मात।काम बड़े करते सदा, हो जाते विख्यात॥हो जाते विख्यात, विनय को धारण करते।पाते आदर मान, कष्ट सबका वो हरते॥बिन अनुभव के मीत, नहीं होता है उद्भव।करो चरित्र सुधार, सीख कर जीवनअनुभव॥ परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई … Read more

कमजोर होते कंधे

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* पिता के वे ही कंधे हो जाते हैंबुढ़ापे में कमज़ोर,जिन पर बिठाकर उसनेअपनी संतानों को दिखाया है मेला,घुमाया है बाज़ार मेंदिखाये हैं जुलूस,जिस पर बैठकर सदा संतानों कोऊँचा होने का अहसास हुआ है। हालांकि, हौसले की बात करें, तोवे कंधे उस दृष्टि से कभी कमज़ोर नहीं होते,पर संतानों से उपेक्षा पाकर … Read more

करो नहीं मनमानी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कुछ पल के सत्ता सुख वैभव अहंकार मदमाते हो,करो नहीं मनमानी दुनिया क्या पाया मुस्काते हो। भूल गये इन्सान प्रथम गुण विनत सफल तरु बन पाते,सब जीवों में श्रेष्ठ मनुजता, भूल दानवता इठलाते हो। सोचो पलभर मिले वक्त जो, जिस लाभ स्वयं भरमाते हो,क्या गारन्टी नाश न होगा, जिस … Read more

स्फूर्ति बढ़ाए योग

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** योग बनाए निरोगी काया,नित्य नियम अगर सुख चाहासुन्दर उपहार है यह काया,मनुज, अजानी समझ न पाया। नित प्रति योग ठान ही लें,पौष्टिक आहार साथ में लेंस्वस्थ हो तन-संयोग अनूठा,पुष्ट सुखी हो तन-मन अनूठा। योग आलस्य दूर भगाए,निद्रा तंद्रा अनिद्रा भगाएक्रोध, दुर्बलता, भय मिटाए,मानसिक सुख स्फूर्ति बढ़ाए। अष्टांगयोग नित्य ध्यान करेंगे,तन-मन … Read more