लिखो गौरवगाथा
डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ यह देह अब…सौंदर्य का प्रतिमान नहीं,तिर्यक नयन, नसरीन बदनगजगामिनी, मनमोहनी, रूपसी,तू हृदय बसी…छोड़ो ये सब, उपमाएं हुई पुरानी,तुम हो आद्यंत तो…लिखो अल्फ़ाज़ नए जमाने,लिखो! वर्तमान की कर्मरत गाथागढ़ो नारी-सौंदर्य की नई परिभाषा,जो स्वत:…तराशती है आत्मा को, चेतना को,प्रखर करती है,अपनी बुद्धि कोप्रशस्त करती है,नए मार्ग…बंधन की बेड़ियों को तोड़ती,उन्मुक्त…परिंदे-सा नाप … Read more