जब मैं अकेले…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* तब पीड़ा नहीं होती,जब मैं अकेले में रोती हूँचोट तब लगती है जब,अकेले में जश्न मनाती हूँ। तब दर्द नहीं होता,जब मैं अकेले सो जाती हूँकष्ट…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* तब पीड़ा नहीं होती,जब मैं अकेले में रोती हूँचोट तब लगती है जब,अकेले में जश्न मनाती हूँ। तब दर्द नहीं होता,जब मैं अकेले सो जाती हूँकष्ट…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कहीं किसी दिन फुरसत के पल,हम प्रेमी युगल इरशाद करेंरस पान नशीली ऑंख चपल,हम साथ बैठें, संवाद करें। अनुभूति प्रीत आह्लादित मन,हमदम गुलशन गलहार…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** मधुर कसक है आज हृदय मेंसुधि बन छाया कौन,झुकती जाती बोझिल पलकेंमन में द्वारे आया कौन ? लिखने बैठी पीर हृदय कीमन में मेरे समाया कौन,देर रात…
सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* नस-नस में जिनके देशभक्ति कासागर-सा रक्त उफनता था,भींची हुई मुट्ठियों में जिनकेआक्रोश मुगलों पर उतरता था।वह तेजस्वी चित्तौड़ के राजा,वीर राणा प्रताप कहलाते थे। धन्य हुई…
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** मैंने चुपचाप हर सुबह को सवेरा किया,तेरे लिए हर अंधेरे को उजाला कियातेरी थकान में खुद को भुला बैठी,तेरे ख्वाबों को अपना बना बैठी। मैंने वो…
धर्मेंद्र शर्मा उपाध्यायसिरमौर (हिमाचल प्रदेश)******************************************************* है वक़्त नहीं कि कुछ कहा जाए,तो वक़्त यही कि सब कुछ सहा जाएहै वक़्त वही कि सब मिटा दिया जाए,वो वक़्त नहीं जिसे बदल…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** जब खिड़की खोलकर देखती हूँ,बाहर का नजाराचिड़ियों की चहक,दोस्तों का दिखनाठंडी हवा,फूलों की खुशबूकर देती मन को ताजा,सूरज की किरणेंघर में उजास भर देती,जब सुबह खिड़की खोलती। अब…
जी.एल. जैनजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* स्वयं का स्वयं से अनुबंध कर लो,विखरे हुए संबंध को अटूट कर लोअथाह कचरा है आत्मा के कोने में,आत्मा को स्वच्छ व निर्मल कर लो। भटके हो…
डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** अज्ञात रास्ता, अनजान डगर,जीवन की होती फिर सहर। अज्ञात रास्तों पर मिलता ज्ञान,भटक-भटक कर राहें आसान। अज्ञात रस्ते होते कठिन लेकिन,लक्ष्य सादे तो मंजिल होती…
मंजू अशोक राजाभोजभंडारा (महाराष्ट्र)******************************************* लगता है किसी न किसी की दुआओं का असर है,जो मेरी ज़िंदगी में खुशियों का बसर हैतभी तो गमों की हवाओं का जोर बेअसर है,यूँ दुआओं…